तेजस्वी की मौजूदगी में नीतीश ने पूर्ववर्ती लालू-राबड़ी सरकार पर साधा निशाना, मचा बवाल

बिहार देश
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पटना। बिहार में नीतीश और तेजस्वी की पार्टी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा, ऐसे संकेत सामने आ रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ललन सिंह एपिसोड के बाद जदयू और राजद के बीच संबंधों में तल्खी आई है।

इंडिया ब्लॉक की वर्चुअल बैठक के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार की ओर से शनिवार को पटना के गांधी मैदान में एक कार्यक्रम के दौरान ऐसा बयान आया, जो इन अटकलों को और हवा दे सकता है। दरअसल, कल मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती किए गए शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपे।

कार्यक्रम में 26000 से ज्यादा शिक्षक शामिल हुए। इस दौरान अपने संबोधन में नीतीश कुमार ने पूर्ववर्ती लालू-राबड़ी सरकार पर स्पष्ट रूप से निशाना साधा। पूर्ववर्ती राजद सरकार पर कटाक्ष करते हुए, नीतीश ने याद दिलाया कि 2005 में जब उन्होंने राज्य की कमान संभाली थी, तब 12.5 प्रतिशत से अधिक बच्चे स्कूल नहीं जाते थे। तब उनकी सरकार ने बड़े पैमाने पर टोला सेवकों और तालिमी मरकजों (शिक्षा सेवक) की भर्ती शुरू की। उन्होंने इन आंकड़ों के लिए राज्य सरकार द्वारा स्कूली छात्रों पर किए गए एक सर्वेक्षण का हवाला दिया।

दरअसल, शिक्षा सेवक (तालीमी मरकज) राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में दलित, महादलित एवं अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को जागरूक करते हैं। सीएम नीतीश ने टोला सेवकों और तालिमी मरकज से कहा, ‘हम आपसे उम्मीद करेंगे कि आप स्कूलों में जाएं और अपनी सेवाओं का विस्तार करें। क्योंकि आपको शिक्षकों की तरह राज्य सरकार द्वारा भुगतान किया जा रहा है’।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह बयान लालू यादव के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती राजद सरकार की विफलता को उजागर करता है। उन्होंने जब यह वक्तव्य दिया, उस वक्त उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी मंच पर मौजूद थे।

बताते चलें कि, बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर जेडीयू ने सहयोगी राजद के खिलाफ पहले ही मोर्चा खोल रखा है। नीतीश की पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों के लिए 17 सीटों पर कोई समझौता नहीं करने के अपने रुख पर कायम है। वाम दलों ने 9 और कांग्रेस ने 10 सीटें मांगी हैं। ऐसे में राजद के लिए 4 सीटें बचती हैं। 

जदयू के दावे ने राजद के लिए दुविधा पैदा कर दी है, क्योंकि उसे अपने गठबंधन सहयोगियों की मांगों और अपने हितों का भी ध्यान रखना है। इस बीच पटना में लगे एक पोस्टर्स को लेकर भी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। शिक्षक भर्ती का क्रेडिट लेने वाले इन पोस्टर्स में सिर्फ नीतीश कुमार नजर आए, तेजस्वी गायब दिखे, जिस पर लिखा था ‘रोजगार का मतलब नीतीश सरकार’।

इससे पहले इंडिया ब्लॉक की वर्चुअल बैठक में कांग्रेस ने नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाने का प्रस्ताव रखा। सूत्रों के मुताबिक नीतीश ने गठबंधन में शामिल दलों के बीच कन्वीनर पोस्ट के लिए उनके नाम पर आम सहमति नहीं बनने का हवाला देकर, प्रस्ताव स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

गत 1 जनवरी को राबड़ी देवी का बर्थडे था। यह मौका महागठबंधन में एकजुटता दिखाने का बड़ा अवसर था। लेकिन नीतीश कुमार न तो लालू परिवार से मिलने उनके आवास पहुंचे और न ही सोशल मीडिया पर राबड़ी के लिए एक लाइन का पोस्ट लिखा। इससे कयास लगाए जाने लगे कि क्या जदयू और राजद में सबकुछ ठीक है?

आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव मकर संक्रांति के मौके पर अपने घर दही-चूड़ा भोज का आयोजन करने वाले हैं। चार साल के लंबे अंतराल के बाद यह भोज आयोजित हो रहा है। जानकारी के मुताबिक इस बार भी 14 और 15 जनवरी को दही-चूड़ा भोज रखा जाएगा। इसमें महागठबंधन के तमाम नेताओं के लालू परिवार के आवास पर पहुंचने की उम्मीद है।

हालांकि, नीतीश कुमार को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है कि वह इस भोज में शामिल होंगे या नहीं। नीतीश और लालू परिवार ने एक दूसरे को नए साल की सार्वजनिक तौर पर बधाई भी नहीं दी थी। इन संकेतों से बिहार की राजनीति में उथल-पुथल की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।