विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों पर झारखंड की विभिन्न हितधारकों से लिया गया परामर्श

झारखंड
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रांची। झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश संजय कुमार मिश्र ने कहा कि विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों को गरिमापूर्ण जीवन प्रदान करने और पुनर्स्थापनात्मक न्याय प्रदान करने के प्रति समाज को अपना कर्तव्य निभाना होगा। वे 12 अगस्‍त को न्‍यायिक अकादमी के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इसका विषय ‘विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों की रोकथाम, पुनर्स्थापनात्मक न्याय, विचलन एवं उनकी हिरासत के विकल्पों पर झारखंड राज्य की विभिन्न हितधारकों से परामर्श’ था।

कार्यक्रम का ये उद्देश्‍य

कार्यक्रम का आयोजन झारखंड उच्च न्यायालय की किशोर न्याय-सह-पोक्‍सो समिति ने झारखंड सरकार की महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग और यूनीसेफ के सहयोग से किया था। इस परामर्श का आयोजन कानूनी प्रणाली में उलझे विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों (सीआईसीएल) की समस्याओं का समाधान करने, रोकथाम के उपाय पर जोर देते हुए, पुनर्स्थापनात्मक न्याय, विचलन एवं हिरासत के विकल्पों पर विचार करने के उद्देश्य से किया गया है।

कार्यक्रम के प्रतिभागी

इस परामर्श में झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, अधिवक्ता संघ के सदस्य, झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष, झारखंड राज्‍य के गृह, स्वास्थ्य, शिक्षा और साक्षरता विकास, महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभागों के वरीय अधिकारी, यूनिसेफ, बाल अधिकार विशेषज्ञ, शिक्षाविद और अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही।

परामर्श में न्यायिक अधिकारियों (विशेष न्यायाधीश पोक्‍सो, डीएलएसए सचिव और प्रधान मजिस्ट्रेट, जेजेबी), उपायुक्‍त, डीडीसी, एसपी, सीआईडी अधिकारी, विशेष किशोर पुलिस इकाई के नोडल अधिकारी, सिविल सर्जन, डीएसडब्ल्यूओ, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, सदस्य, किशोर न्याय बोर्ड और राज्य विधिविज्ञान प्रयोगशाला (एसएफएसएल), झारखंड सरकार की झारखंड राज्य बाल संरक्षण सोसाइटी, ब्लॉक संसाधन व्यक्ति, यूनिसेफ के सदस्य, प्राचार्य, उप-प्राचार्य आदिसहित 400 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसके अलावा, एनयूएसआरएल और छोटानागपुर लॉ कॉलेज, रांची के कानून के छात्र स्वयंसेवक के रूप में उपस्थित थे।

सीजे ने किया उद्घाटन

परामर्श का आयोजन भारत के सर्वोच्च न्यायालय के बाल कल्याण समिति के तत्वावधान में किया गया। इसका प्रारंभ बाल संरक्षण संस्थानों (सीसीआई) के बच्चों के द्वारा प्रस्तुत स्वागत गीत से किया गया। झारखंड उच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा मुख्य अतिथि थे। उन्‍होंने विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों को गरिमापूर्ण जीवन प्रदान करने और पुनर्स्थापनात्मक न्याय प्रदान करने के प्रति समाज के कर्तव्य को दोहराया।

ये रहे वक्‍ता

किशोर न्याय-सह-पोक्सो समिति के अध्‍यक्ष सह न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद ने सीआईसीएल के प्रति संवेदनशीलता की आवश्यकता पर जोर दि‍या। सभी हितधारकों से कलंक मानने के बजाय आशावाद के साथ सीआईसीएल को स्वीकार करने में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया।

किशोर न्याय-सह-पोक्सो समिति के सदस्‍य और न्‍यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी ने अपने सशक्त शब्दों से श्रोताओं को प्रभावित किया। डीडब्ल्यूसीडी और सामाजिक सुरक्षा के सचिव कृपा नंद झा, यूनिसेफ की सीएफओ डॉ कनिनिका मित्रा ने भी सभा को संबोधित किया। उद्घाटन सत्र किशोर न्याय-सह-पोक्सो समिति के सचिव संजय कुमार ने धन्यवाद किया।

कला प्रदर्शनी सह बिक्री

तेजस्वी बच्चों की कला प्रदर्शनी-सह-बिक्री का उद्घाटन झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्‍यायाधीश ने किया गया। सम्प्रेक्षण गृह, बच्चे और आश्रय गृह सहित सीसीआई के बच्चों ने प्रदर्शनी के लिए 675 से अधिक वस्तुएं तैयार की थी। मिट्टी के बर्तन, हस्तशिल्प, राखी, दीये और पेंटिंग जैसी लोकप्रिय वस्तुओं को जिले के आवंटित स्टालों में बड़े करीने से प्रदर्शित किया गया था।

तकनीकी सत्र

पहला तकनीकी सत्र बाल अपराध की रोकथाम, डायवर्जन, हिरासत के विकल्पों और बिना हिरासत के विकल्पों पर था। इसकी अध्यक्षता किशोर न्याय-सह-पोक्सो समिति के सदस्‍य सह झारखंड हाई कोर्ट के न्‍यायाधीश न्यायमूर्ति रोंगोन मुखोपाध्याय ने की। पहले तकनीकी सत्र के विशेषज्ञ वक्ता सह-संस्थापक (एचएक्यू सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स, दिल्ली) सुश्री भारती अली, अधिवक्ता, दिल्ली उच्च न्यायालय एवं बाल अधिकार विशेषज्ञ अनंत अस्थाना और झारखंड पुलिस के महानिदेशक (सीआईडी) अनुराग गुप्ता थे।

दूसरा तकनीकी सत्र निष्पक्ष सुनवाई और बाल मैत्रीपूर्ण प्रक्रियाओं के अधिकार और आपराधिक उत्तरदायित्व की न्यूनतम आयु और प्रारंभिक मूल्यांकन पर था। इसकी अध्यक्षता किशोर न्याय -सह-पोक्सो समिति के सदस्‍य और झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी ने की। दूसरे तकनीकी सत्र के वक्ता अनंत अस्थाना (अधिवक्ता, दिल्ली उच्च न्यायालय एवं बाल अधिकार विशेषज्ञ), भारत के सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता डॉ अपर्णा भट्ट और सीआईपी के डॉ निशांत गोयल थे।

तीसरा तकनीकी सत्र पुनर्वास और पुनर्स्थापनात्मक प्रथाओं पर था। इसकी अध्यक्षता किशोर न्याय-सह- पोक्सो समिति की सदस्‍य सह झारखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति श्रीमती अनुभा रावत चौधरी ने की। वक्ता प्रोफेसर वेद कुमारी (कुलपति, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ओडिशा), झारखंड राज्य बाल संरक्षण सोसाइटी की निदेशक सुश्री राजेश्वरी बी, और बोकारो की मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट और पूर्व पीएम जेजेबी सुश्री दिव्या मिश्रा ने अपने विचार और अनुभव साझा किये।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

सांस्कृतिक कार्यक्रम में सीसीआईएस के बच्चों ने बड़े उत्साह के साथ विभिन्न गीत, समूह नृत्य, लघु नाटिका के साथ-साथ भाषण भी प्रस्तुत किया। 100 से अधिक बच्चों ने व्यक्तियों की महती सभा के समक्ष मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इसके बाद न्यायाधीशों और उनके जीवनसाथी द्वारा बच्चों को आशीर्वाद देकर और स्मृति चिन्ह, स्कूल बैग, स्टेशनरी एवं कलरिंग किट प्रदान करके उनका अभिनंदन किया गया।