मणिपुर हिंसा के बाद पुलिस और सेना की बड़ी कार्रवाईः अलग-अलग ऑपरेशन में 30 आतंकी ढेर!

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मणिपुर। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन ने दावा किया है कि हिंसा के शिकार मणिपुर में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अब तक 30 आतंकवादियों को मार गिराया है। एएनआई की खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री एन बीरेन ने कहा है कि आम नागरिक आबादी के खिलाफ हथियारों का इस्तेमाल करने वाले आतंकवादी समूहों पर बड़ी कार्रवाई की गयी है। इनमें से लगभग 30 आतंकवादी विभिन्न क्षेत्रों में मारे गए हैं। कुछ को सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार भी किया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने दावा करते हुए कहा, “आतंकवादी नागरिकों के खिलाफ एम -16 और एके -47 असॉल्ट राइफलों और स्नाइपर गन का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे कई गांवों में घरों को जलाने के लिए आए थे। हमने सेना और अन्य सुरक्षा बलों की मदद से उनके खिलाफ बहुत कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चला रहे हैं।” लड़ाई सशस्त्र आतंकवादियों के खिलाफ है, जो मणिपुर को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि विद्रोहियों ने आज तड़के दो बजे इंफाल घाटी और उसके आसपास के पांच इलाकों में एक साथ हमला किया। ये क्षेत्र सेकमाई, सुगनू, कुम्बी, फायेंग और सेरौ हैं। कई और इलाकों में गोलीबारी और सड़कों पर लावारिस लाशें पड़े होने की खबरें आ रही हैं। सूत्रों ने बताया कि सेकमाई में मुठभेड़ खत्म हो गई है।

राज्य की राजधानी इंफाल में रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के डॉक्टरों ने मीडिया को बताया कि फायेंग में हुई मुठभेड़ में 10 लोग घायल हुए हैं। बिशनपुर के चांदोनपोकपी में कई गोलियां लगने के बाद 27 वर्षीय किसान खुमानथेम कैनेडी की मौत हो गई है।

सूत्रों ने कहा कि उनके शव को रिम्स ले जाया जा रहा है और लोगों के हताहत होने की आशंका है। कैनेडी के परिवार में उनकी पत्नी और पुत्र हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दो दिनों में इंफाल घाटी के बाहरी इलाके में नागरिकों पर हिंसक हमलों में तेजी प्लांड लगती है।

बता दें कि असल में मणिपुर में तीन समुदाय सक्रिय हैं- इसमें दो पहाड़ों पर बसे हैं, तो एक घाटी में रहता है। मैतेई हिंदू समुदाय है और 53 फीसदी के करीब है, जो घाटी में रहता है। वहीं दो और समुदाय हैं- नागा और कुकी, ये दोनों ही आदिवासी समाज से आते हैं और पहाड़ों में बसे हुए हैं।

अब मणिपुर का एक कानून है, जो कहता है कि मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में रह सकते हैं और उन्हें पहाड़ी क्षेत्र में जमीन खरीदने का कोई अधिकार नहीं होगा। ये समुदाय चाहता जरूर है कि इसे अनुसूचित जाति का दर्जा मिले, लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।

हाल ही में हाई कोर्ट ने एक टिप्पणी में कहा था कि राज्य सरकार को मैतेई समुदाय की इस मांग पर विचार करना चाहिए। उसके बाद से राज्य की सियासत में तनाव है और विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। ऐसे ही एक आदिवासी मार्च के दौरान बवाल हो गया और देखते ही देखते हिंसा भड़क गई।