- जनशक्ति से जलशक्ति के बाद अब नदी बचाओ अभियान
खूंटी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ की 101वीं कड़ी में झारखंड (Jharkhand) के खूंटी जिले में पिछले तीन वर्षों से जल संरक्षण के लिए बनाए जा रहे बोरीबांध की चर्चा की। इसकी प्रशंसा करते हुए जिलेवासियों को को शुभकामनाएं दी। जिला प्रशासन, सेवा वेलफेयर सोसाइटी और ग्रामसभाओं के संयुक्त प्रयास से जल संरक्षण की यह मुहिम चल रही है।
पीएम ने कही ये बात
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में कहा, ‘पानी के सदुपयोग से जुड़ा एक प्रेरक प्रयास झारखंड के खूंटी जिले में भी हो रहा है। खूंटी में लोगों ने पानी के संकट से निपटने के लिए बोरी बांध का रास्ता निकाला है। बोरी बांध से पानी इकट्ठा होने के कारण यहां साग-सब्जियां भी पैदा होने लगी हैं। इससे लोगों की आमदनी भी बढ़ रही है। इलाके की जरूरतें भी पूरी हो रही हैं। जनभागीदारी का कोई भी प्रयास कैसे कई बदलावों को साथ लेकर आता है। खूंटी इसका एक आकर्षक उदाहरण बन गया है।’
संयुक्त प्रयास का असर
जिला प्रशासन, सेवा वेलफेयर सोसाइटी और ग्रामसभाओं के संयुक्त प्रयास से यह संभव हो पाया है। खूंटी झारखंड का आदिवासी बहुल जिला है। धरती आबा और उलगुलान (क्रांति) के महानायक बिरसा मुंडा की धरती है। यह जंगल-पठार, नदी- नाला से घिरा है। हालांकि जिले के गांव-टोले घोर जल संकट से लगातार घिरने लगे। लोगों को पानी के लिए आधा से एक किलोमीटर दूर जाने को विवश होना पड़ा। लोग पारंपरिक स्रोतों यथा नदी-नालों के किनारे गड्ढ़े खोदकर पानी पीने लगे। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि गर्मी के दिनों में कई गांव की महिलाएं सप्ताह में एक ही दिन नहाती थी। वे तीन किलोमीटर दूर बहने वाली नदी में नहाने जाती थीं। कारण था कि उनके गांव में पानी नहीं होता था।
संकट से निपटने के लिए चर्चा
वर्षों से कायम इस जल संकट को दूर करने के लिए सेवा वेलफेयर सोसाइटी की सात सदस्यीय टीम ने गांव-गांव में ग्रामसभाएं की। इसमें समस्या और सामाधान पर चर्चा हुई। ग्राम सभा में इस अभियान के शुरू करने की इच्छा जाहिर करते हुए लोगों से रायशुमारी की गई। गांवों के लोगों के बीच बैठकर और विचार मंथन के साथ सीमित संसाधनों के बल पर पानी की समस्या को दूर करने की मुहिम अब रंग लाने लगी है। लोग आगे बढ़ते चले जा रहे हैं।

श्रमदान करने का फैसला हुआ
ग्रामसभाओं में बोरीबांध बनाकर बरसात के पानी को रोकने का निर्णय पहले लिया गया। बोरीबांध का निर्माण आदिवासियों के मदईत (श्रमदान) परंपरा के तहत करने का फैसला भी लिया गया। आदिवासियों में समूह से बंधे रहने का गुण पारंपरिक है। खेती बारी से लेकर अधिकतर जनहित के कार्यों को मदईत परंपरा से करते आए हैं। इसके तहत काम के बाद सामूहिक भोज की परंपरा है। इसी परंपरा को बोरी बांध निर्माण में निभाया जा रहा है।
सामूहिक रूप से मेहनत करते हैं
बोरी बांध बनाने के दौरान गांव की महिलाएं उसी बोरीबांध निर्माण स्थल पर भोजन तैयार करती हैं। बोरीबांध बनाने के लिए दिन भर जोश- जुनून के साथ गांव के सभी लोग सामूहिक रूप से मेहनत करते हैं। बांध बनने के बाद लोग जब थक-हार जाते हैं, तब साथ मिलकर और पांत में बैठकर खाना खाते हैं। यह तस्वीर देखते बनती है। इससे गांव में खुशी का माहौल कायम होता है। गांव की एकता मजबूत होती है। अपने गांव के नदी नालों से लोगों का जुड़ाव और प्यार हो जाता है।
दो वर्षों से चल रहा नदी बचाओ अभियान
नदियों को बचाने के लिए जन शक्ति से जलशक्ति को नदी बचाओ अभियान बनाया गया। वर्ष 2021-22 से इस अभियान की शुरूआत की गई। जिले के बनई, तजना, नरदा, चेंगरझोर, कारो आदि नदियों पर बोरीबांध बनाया गया। इसका उद्देश्य जल संचयन तो है ही, उससे महत्वपूर्ण गांव के लोगों को नदियों से जोड़ना है। गांव के लोग जब अपने पूरे दिन का कामकाज छोड़ तपती धूप में 50 से 100 के समूह में नदी पर बोरीबांध बनाने उतरते हैं, तब उनका संपर्क नदी के पानी, मिट्टी और बालू से होता है। उन्हें नदी से प्यार हो जाता है। नदी को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं। नदी पर एक बार बोरीबांध बनने के बाद उसका मेंटेनेंस भी गांव के लोग बरसात से पहले तक करते हैं। वे नदी से अवैध रूप से बालू का उत्खनन भी नहीं होने देते। जिले के मुरहू प्रखंड में बनई नदी में इस प्रचंड गर्मी में भी 12 किलोमीटर दूर तक पानी छलछला रहा है।

हजारों लोगों ने अब तक किया श्रमदान
जनशक्ति से जलशक्ति और नदी बचाओ अभियान के तहत अब तक तीन सालों में 270 से ज्यादा बोरीबांध बनाए जा चुके हैं। बोरीबांध निर्माण में जिले के कर्रा, मुरहू, तोरपा, अड़की और खूंटी प्रखंडों के विभिन्न गांवों के 16 से 17 हजार ग्रासभा सदस्य बोरीबांध निर्माण में श्रमदान कर चुके हैँ।
16 गांवों में 174 एकड़ में सिंचाई
जिले में बने बोरीबांध से जामटोली, गानालोया, गुरमी, कोठाटोली, घघारी, कसीरा, कोलोम्दा समेत 20 से ज्यादा गांवों के किसान बोरीबांध के पानी से लगभग 174 एकड़ में सिंचाई कर रहे हैं।
ग्रामीणों का हौसला बढ़ाने वाले ये भी
केंद्रीय अधिकारियों, आईएएस व आईपीएस अधिकारियों समेत पूर्व मंत्री व विधायक ने बारीबांध निर्माण में श्रमदान कर ग्रामीणों का हौसला अफजाई किया है।
1. प्रवीण वशिष्ठ-अवर सचिव, गूह मंत्रालय, भारत सरकार।
2. शशि रंजन (आईएएस), उपायुक्त खूंटी।
3. अमन कुमार (आईपीएस) पुलिस अधीक्षक, खूंटी
4. नितीश कुमार सिंह (आईएएस), उप विकास आयुक्त, खूंटी
5. नीलकंठ सिंह मुंडा, पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री, झारखंड सह विधायक खूंटी
6. 100 सीआरपीएफ 94 बटालियन के जवान
7. एसडीपीओ अमित कुमार समेत जिला पुलिस बल के 50 जवान