नई दिल्ली। कोल इंडिया (Coal India), उसकी सहायक कंपनी और एससीसीएल में कार्यरत कामगारों का 11वां वेतन समझौता हुए अब करीब 3 माह होने को है। यह अभी तक लागू नहीं हो पाया गया है। इसके लागू नहीं होने की खास वजह अब तक डीपीई से एप्रूवल नहीं मिलना बताया जाता है। इस बीच बीएमएस (BMS) के कोल उद्योग प्रभारी के लक्ष्मा रेड्डी ने समझौते में देरी होने की एक वजह ये भी बताई।
जानकारी हो कि कामगारों का 11वां वेतन समझौता 3 जनवरी, 2023 को कोलकाता में हुई जेबीसीसीआई की बैठक में हो चुका है। इसमें कामगारों को 19 फीसदी एमजीबी देने पर प्रबंधन और यूनियन के बीच सहमति बनी है। तब बीएमएस, एटक, एचएमएस और सीटू के प्रतिनिधि बैठक में मौजूद थे। सहमति के बाद इसे एप्रूवल के लिए कोयला मंत्रालय को भेजा गया है।
वेतन समझौता लागू होने की प्रतीक्षा कामगार बेसब्री से कर रहे हैं। समय बीतने के साथ उनकी नाराजगी भी बढ़ती जा रही है। वे चाहते हैं कि वेतन समझौता जल्द से जल्द लागू हो। हालांकि इस मामले में कोई सकारात्मक सूचना उन्हें नहीं मिल पा रही है।
इस बीच बीएमएस के कोल उद्योग प्रभारी के लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि संगठन के खिलाफ दुष्प्रचार कर कोयला मजदूरों को भ्रमित करने का कार्य किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि 19 प्रतिशत एमजीबीअभी तक लागू नही हुआ है। मामला अधर में लटका है।
रेड्डी ने कहा कि अभी तक वेतन समझौता के अन्य शेष बिन्दुओं पर आम सहमति नहीं बनी है। सभी बिंदुओं पर आम सहमति बनने के बाद ही मंत्रालय में अप्रूवल के लिए भेजा जाता है। इसके पूर्व के वेतन समझौता में भी यही हुआ है। यही प्रैक्टिस भी है।