बिरसा कृषि विवि में बन रहा हॉर्टिकल्चरल बायोडायवर्सिटी पार्क, जानें खूबी

कृषि झारखंड
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रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय 10 एकड़ भूमि में हॉर्टिकल्चरल बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित कर रहा है। अगले 6 महीनों में इसे तैयार करने का लक्ष्य है। विद्यार्थी, शोधार्थी, किसान और पौधों में रुचि रखनेवाले शहरी लोगों को फल, फूल, सब्जी एवं औषधीय और सुगंधित पौधों की विभिन्न प्रजातियां से प्रत्यक्ष अवगत कराने के उद्देश्य से इसका निर्माण किया जा रहा है।

बीएयू में विश्व बैंक के सहयोग से चल रही राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना (नाहेप) के सहयोग से पशु चिकित्सा संकाय परिसर के पराठा चौक से लेकर कांके स्थित पशुपालन विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय की सीमा तक यह पार्क विकसित किया जा रहा है।

इस जैव विविधता पार्क में लगाये जा रहे फल-फूलों का उद्देश्य व्यावसायिक नहीं है, बल्कि बागवानी फसलों की विभिन्न प्रजातियों को विद्यार्थियों, शोधार्थियों और किसानों को भौतिक रूप से दिखाना है ।

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने बताया कि अपने ढंग के इस नायाब पार्क को मूर्त रूप देने की जिम्मेदारी प्रसिद्ध बागवानी विशेषज्ञ एवं नाहेप के परामर्शी डॉ ए रब्बानी को सौंपी गई है। बीएयू आने से पूर्व डॉ रब्बानी भारत सरकार के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), श्रीहरिकोटा (तमिलनाडु) में एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर (बागवानी) थे।

डॉ रब्बानी ने बताया कि पार्क में एक एकड़ क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी के नबीला प्रभेद के लगभग 15 हजार पौधे लगाए गए हैं। इन्हें पुणे से मंगाया गया है। पौधों को पुणे से लाने के बाद 15 दिन उसी तरह रखने के बाद लगाया गया, ताकि ये पौधे यहां के मौसम के अनुरूप यथासंभव अपने आपको ढाल सकें। स्ट्रॉबेरी के एक एकड़ क्षेत्र में प्लास्टिक मल्चिंग और ड्रिप इरिगेशन की व्यवस्था की गई है ताकि न्यूनतम पानी में भी अनुकूलतम परिणाम प्राप्त हो सके।

चार-पांच एकड़ में फल के बागान लगाए जाएंगे, जिनमें आम का मालदा लंगड़ा, सुंदर लंगड़ा, आम्रपाली, मल्लिका आदि प्रभेद और अमरुद का इलाहाबाद सफेदा प्रभेद शामिल रहेगा। पार्क क्षेत्र में राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत पहले से लगाए गए भी आम के कुछ पेड़ हैं जिन्हें पुनरुज्जीवित किया गया है।

नींबूवर्गीय फसलों में मोसंबी, संतरा, नागपुरी संतरा, कीनू, नींबू, पंत लेमन, ग्रेप फ्रूट आदि लगाए जा रहे हैं जिनकी रोपण सामग्री क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, चियांकी से मंगाई गई है। फल बागान में अन्तरवर्ती फसल के रूप में तरबूज लगाये जा रहे हैं।

एवोकेडो, अंजीर, चेरी, शरीफा, कटहल, काजू, ड्रेगन फ्रूट, अनार, सपोटा, सेव, पीच, नासपाती, अमरूद सहित करीब 40 प्रकार के फल पौधे लगाए जायेंगे। इस पार्क में सेव का ट्रॉपिकल एन्ना और डोरसेट गोल्डन प्रभेद लगाया जाएगा। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार में भी इन प्रभेदों  का प्रदर्शन अच्छा रहा है।

सब्जी फसलों में मटर, फ्रेंचबीन, गाजर, मूली, लौकी, प्याज, हरी मिर्च, शिमला मिर्च सहित 15-20 फसलों के उन्नत प्रभेद लगाए गये हैं। इस पार्क में औषधीय और सुगंधित पौधों का भी एक अलग एरिया विकसित किया जाएगा।

कारनेशन, डहेलिया, जीनिया सनफ्लावर, स्कोलजिया सहित 30 प्रकार के मौसमी फूल लगाए गये हैं। गोल्डन कलर का स्कोलजिया अहमदाबाद स्थित इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर से मंगवाया गया है।

विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बीएयू आने वाले किसानों के लिए भी यह पार्क एक अद्भुत नजारा होगा। प्रकृति और बागान में रुचि रखने वाले शहरी लोगों, विशेषकर नई पीढ़ी के उनलोगों के लिए यह पार्क एक विशेष आकर्षण का केंद्र होगा।