खिलौना उद्योग में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की संकल्पना दूरगामी प्रभाव डालेगा : अरीमर्दन सिंह

झारखंड
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  • ‘भारत खिलौना मेला 2021- अवसर एवं संभावनाएं’ विषय पर वेबिनार का आयोजन

रांची। पत्र सूचना कार्यालय, रीजनल आउटरीच ब्यूरो, रांची और फील्ड आउटरीच ब्यूरो, गुमला के संयुक्त तत्वावधान में ‘भारत खिलौना मेला 2021- अवसर एवं संभावनाएं’ विषय पर शनिवार को वेबिनार परिचर्चा का आयोजन किया गया।

वेबिनार परिचर्चा की शुरुआत करते हुए अपर महानिदेशक पीआईबी- आरओबी, रांची अरिमर्दन सिंह ने कहा कि खिलौनों से ही बच्चों का संसार शुरू होता है। एक तरह से कहा जाए तो जीवन की शुरुआत ही खिलौनों से होती है। बच्चों के विकास के विभिन्न स्तरों पर अलग-अलग प्रकार के खिलौने होते थे। दांत निकलने से लेकर चलने के लिए भी खिलौने होते थे। समय में बदलाव के साथ-साथ खिलौनों में भी बदलाव आया है। पहले लकड़ी के खिलौनों का ज्यादा इस्तेमाल होता था। आज इनकी जगह प्लास्टिक के खिलौनों ने ले ली है। ‘भारत खिलौना मेला 2021’ जैसे आयोजन से केंद्र सरकार खिलौना निर्माताओं को एक मंच दे रही है, जिसके जरिए उनके उत्पादों का देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रचार होगा। ‘वोकल फॉर लोकल’ मुहिम के तहत खिलौना निर्माण में लोकल सामग्रियों का उपयोग हो रहा है जिससे रोजगार सृजन के मौके मिल रहे हैं और स्थानीय करोबार बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री द्वारा खिलौना उद्योग के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की संकल्पना दूरगामी प्रभाव डालेगा।

डॉ महेंद्र सिंह (सहायक प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, केंद्रीय विश्विद्यालय झारखंड) ने कहा कि खिलौना निर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन देना केंद्र सरकार का सराहनीय कदम है। खिलौना मेला जैसे आयोजन से इस क्षेत्र को सगंठित बनाया जा सकता है। इस तरह के आयोजन से उद्यमी भी इस क्षेत्र की ओर आकर्षित होंगे। खिलौना उद्योग का अर्थव्यवस्था में भी अहम भूमिका है।

सुश्री सभ्यता रानी सिंह (सहायक प्रोफेसर, फाइन आर्ट्स, फैकल्टी ऑफ एजुकेशन, जमशेदपुर महिला कॉलेज) ने कहा कि खिलौनों से बच्चों का मानसिक और बौद्धिक विकास तो होता ही है। उनमें रचनाशक्ति का भी विकास होता है। हम यह भी कह सकते हैं खिलौनों से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। पर्यावरण का खयाल रखते हुए अब इको-फ्रैंडली खिलौने तैयार किए जा रहे हैं, जिससे बच्चों के साथ-साथ पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।

सृजन हैंडीक्राफ्ट्स की श्रीमती शोभा कुमारी ने कहा कि उनका समूह 40 से 45 महिलाओं का है। वे पिछले 12 वर्षों से खिलौना निर्माण के क्षेत्र से जुड़ी हैं। वे इस बात को लेकर खासे उत्साहित हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उद्योग की ओर ध्यान दिया है। वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान के मद्देनजर सृजन हैंडीक्राफ्ट्स देशी तकनीक और वस्तुओं से खिलौनों का निर्माण कर रहे हैं। झारखंड की संस्कृति को भी खिलौनों के माध्यम से प्रदर्शित करते हैं। पारंपरिक परिधानों में पाइका नृत्य करते हुए खिलौने झारखंड के पश्चिम सिंहभूम की पारंपरिक कला को प्रदर्शित करते हैं। इस प्रकार से खिलौनों के माध्यम से बच्चे अपनी सांस्कृतिक विरासत से रू-ब-रू होते हैं।

मनोज कुमार (इंडिया टॉय फेयर 2021 के लिए रांची से चयनित प्रतिभागी) ने कहा कि इंडिया टॉय फेयर में  काफी अच्छी प्रतिक्रिया आ रही है। सॉफ्ट खिलौने बच्चों के लिए नुकसानदेह नहीं होते हैं। बच्चे इसे अपने दोस्त की तरह देखते हैं। खिलौना उद्योग आज कई लोगों को रोजगार दे रहा है। हमारे देश में काफी प्रतिभाएं हैं, पर स्वरोजगार की कमी है।

वेबिनार का समन्वय एवं संचालन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी श्रीमती महविश रहमान ने किया। क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी गौरव पुष्कर ने समन्वय में सहयोग दिया। वेबिनार में विशेषज्ञों के अलावा शोधार्थी, छात्र, पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारी-कर्मचारियों तथा दूसरे राज्यों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया। गीत एवं नाटक विभाग के अंतर्गत कलाकार एवं सदस्य, आकाशवाणी के पीटीसी, दूरदर्शन के स्ट्रिंगर तथा संपादक और पत्रकार भी शामिल हुए। वेबिनार का यू-ट्यूब पर भी लाइव प्रसारण किया गया।