पीपीपी मोड में सरसों की दो उन्नत किस्मों को बढ़ावा देगा BAU

कृषि झारखंड
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रांची। झारखंड की राजधानी रांची के कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (BAU) से विकसित दो उन्नत सरसों किस्मों को बढ़ावा देने की नवीन पहल की गयी है। इसके तहत विवि पीपीपी मोड में बिरसा भाभा मस्टर्ड-1 (बीबीएम-1) और शिवानी के बीज उत्पादन एवं किसानों के बीच बढ़ावा देगा। इस सबंध में लाइसेंसर बीएयू और लाइसेंसधारी मेसर्स डेल्टा एग्रीजेनेटिक्स (हैदराबाद) के बीच दोनों सरसों किस्मों के वाणिज्यिक बीज उत्पादन और भारत में विपणन के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया गया है।

कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह की मौजूदगी में गुरुवार देर शाम इस आशय के एमओयू पर बीएयू के निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह, अध्यक्ष (आनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन) डॉ मनिगोपा चक्रवर्ती, सरसों प्रजनक डॉ अरुण कुमार और मेसर्स डेल्टा एग्रीजेनेटिक्स के निदेशक/सीइओ मंगेश कुमार देव, परामर्शी डॉ एनके सिंह एवं प्रबंधक रंजीत कुमार ने हस्ताक्षर किये।

कुलपति ने बताया कि बीएयू के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनीकों का पूरे प्रदेश में व्यापक हस्तांतरण अभियान चलाया जा रहा है। राज्य में गुणवत्तायुक्त प्रमाणित बीज की उपलब्धता काफी कम है। विगत दो-तीन वर्षो में विश्वविद्यालय ने राज्य के उपयुक्त दर्जनों उन्नत किस्में विकसित की है। स्थानीय किसानों के हित में सभी नई किस्मों के सीड चैन को प्रभावी एवं मजबूत करने की जरुरत है। इसी दिशा में बीएयू द्वारा पीपीपी मोड में सरसों की दोनों किस्मों के वाणिज्यिक बीज उत्पादन एवं किसानों के बीच बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। 

इस एमओयू के अनुसार बीएयू द्वारा मेसर्स डेल्टा एग्रीजेनेटिक्स को तीन साल की अवधि के लिए एक गैर-अनन्य लाइसेंस प्रदान करेगा। बीज उत्पादन तकनीक को पैकेज प्रणाली के साथ तीनों वर्षों में भुगतान के आधार पर बीबीएम-1 और शिवानी किस्म का प्रजनक बीज/आनुवंशिक रूप से शुद्ध बीज बीएयू प्रदान करेगा। बीज प्रमाणन पत्र प्राप्त करने के बाद लाइसेंसधारी द्वारा आधार बीज और प्रमाणित बीज का उत्पादन एवं प्रमाणन के बाद टैग की प्रति विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराया जायेगा।

बीज उत्पादन के लिए बीएयू का तकनीकी मार्गदर्शन लागत के आधार पर होगा। तीन सदस्यों की टीम द्वारा अंतः प्रजनित बीज उत्पादन कार्यक्रम की निगरानी एवं समीक्षा की जायेगी। एमओयू आईसीएआर, डेयर, पीपीवी और एफआर, आईपीआर और संघ / राज्य सरकार के नियमों व दिशानिर्देशों के अनुसार और संशोधन के अधीन होगा।

लाइसेंसधारी द्वारा दोनों सरसों किस्मों के मूलवर्ग में बदलाव नहीं किया जाएगा। बीज पैकेट पर किस्म का नाम और विश्वविद्यालय का नाम अनिवार्य रूप से अंकित किया जायेगा। सभी विवादों को दोनों पक्षों द्वारा आपसी परामर्श से सुलझाया जायेगा। बीएयू कुलपति एकमात्र मध्यस्थ के रूप में कार्य करेंगे। उनका निर्णय अंतिम और दोनों पक्षों के लिए बाध्यकारी होगा।

बताते चले कि बीएयू द्वारा वर्ष 2005 में विकसित शिवानी झारखंड के लिए सरसों की उपयुक्त अगात किस्म है। इसकी परिपक्वता अवधि 100-115 दिन एवं सिंचित अवस्था में उपज क्षमता 12-14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। तेल की मात्रा 39-40 प्रतिशत है।

वर्ष 2020-21 में विकसित एवं झारखंड प्रदेश के उपयुक्त बिरसा भाभा मस्टर्ड-1 (बीबीएम -1) किस्म की परिपक्वता अवधि 115-120 दिन (मध्यम अवधि) है। इसकी औसत उपज क्षमता 16-18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। तेल की मात्रा 40-42 प्रतिशत है।