बीएयू से विकसित 16 नये किस्मों को बीज उत्पादन कार्यक्रम में प्राथमिकता दी जाय : कुलपति

झारखंड कृषि
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  • बीएयू में रबी बीज समीक्षा बैठक का आयोजन

रांची। विगत दो वर्षों में बीएयू वैज्ञानिकों का राज्य के उपयुक्त उन्नत फसल किस्मों के विकास में उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा. विश्वविद्यालय से विकसित सभी 16 उन्नत किस्मों के सीड चैन को प्रभावी करने से ही किसानों को इसका लाभ मिलेगा. उक्त विचार कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने निदेशालय बीज एवं प्रक्षेत्र द्वारा बुधवार को ऑफलाइन एवं ऑनलाइन मोड में आयोजित रबी बीज समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही.

कुलपति ने कहा कि निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र को राज्य सरकार के समन्यवय से केन्द्रीय एजेंसी को सभी उन्नत किस्मों का मांग-पत्र भेजना होगा. सभी 16 नये किस्मों को बीज उत्पादन कार्यक्रम में प्राथमिकता दी जाय. बढ़िया प्रदर्शन कर रहें किस्मों के सत्यापित बीज के उत्पादन में उत्तरोत्तर वृद्धि तथा बीज उत्पादक कंपनी के समन्यवय से अग्रिम बीज मांग-पत्र हासिल कर बीज उत्पादन कार्यक्रम को गति दे.

कुलपति ने कहा की आगामी खरीफ मौसम में उन्नत बीज की उपलब्धता को अप्रैल माह तक तथा आगामी रबी मौसम के लिए उन्नत बीज की उपलब्धता की जानकारी अगस्त तक सुनिश्चित की जाय. विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गयी सभी फसल किस्मों की नाभकीय बीज एवं प्रजनक बीज उत्पादन कार्यक्रमों का प्रक्षेत्र में पर्यवेक्षण करने की जरूरत है. फसल के पुष्पन अवस्था एवं पुष्पन के उपरांत निदेशक अनुसंधान की अध्यक्षता दो पौधा प्रजनक एवं एक शस्य वैज्ञानिक का दल आकलन कर अनुश्रवण करेगी.

डॉ सिंह ने कहा कि जिलों में कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्र को सीमित संसाधन एवं वस्तु स्थिति में बेहतर प्रदर्शन करना होगा. सभी केंद्र विश्वविद्यालय का मजबूत आधार स्तंभ है. स्थानीय जिला प्रशासन एवं कृषि हितकारकों को केंद्र के कार्यक्रमों में सहभागी बनाये. विश्वविद्यालय का वित्तीय संसाधन काफी सीमित है. जिले में कृषि शोध एवं प्रसार कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में जिला प्रशासन का सहयोग प्राप्त करें.

मौके पर निदेशक अनुसंधान डॉ एसके पाल ने कहा कि वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिल्लेट्स वर्ष के रूप में मनाया जाना है. मिल्लेट्स उत्पादों को सुपर फ़ूड के रूप में जाना जाने लगा है. आगामी वर्ष की बीज उत्पादन योजना में प्रभावी रणनीति एवं प्राथमिकता तय करनी होगी. स्थानीय मांग एवं भूमि की उपलब्धता के आधार पर ही कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा बीज उत्पादन कार्यक्रम को आगे बढाया जाय.

मौके पर निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डॉ एस कर्माकार ने वर्ष 2021-22 में रबी फसलों का बीज उत्पादन, वर्ष 2022-23 में रबी फसलों के बीज उत्पादन की कार्य योजना एवं भावी कार्यक्रमों से सबंधित प्रगति प्रतिवेदन को रखा. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय मुख्यालय प्रक्षेत्र, गोरियाकर्मा फार्म, क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्रों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों में वर्ष 2021-22 के रबी मौसम के दौरान कुल 1,990.6 क्विंटल बीज तथा 3,16,084 फल एवं सब्जियों के पौध सामग्री का उत्पादन हुआ.

वर्ष 2022-23 के रबी मौसम में 3,589.1 क्विंटल बीज तथा 3,41,500 पौध सामग्री उत्पादन का टारगेट है. वर्ष 2021-22 के रबी मौसम में 18.5 क्विंटल प्रजनक बीज, 398.7 क्विंटल आधार बीज तथा एनएफएसएम दलहन सीड हब के तहत कुल 1073 क्विंटल बीज का उत्पादन हुआ.

मौके पर अध्यक्ष (अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन) डॉ सोहन राम तथा क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, दुमका के सह निदेशक डॉ राकेश कुमार ने भी अपने विचारों को रखा. 

इस अवसर पर विश्वविद्यालय अधीन कार्यरत तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्रों के सह निदेशक तथा सोलह कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रधान ने ऑनलाइन माध्यम से बीज उत्पादन कार्यक्रम का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ सुप्रिया सिंह और धन्यवाद डॉ रवि कुमार ने किया.

मौके पर ई डीके रूसिया, डॉ आरपी मांझी, डॉ रंजय कुमार भी मौजूद थे. क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्रों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रतिनिधियों ने बैठक में ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुए.