चिकित्‍सक हमेशा कैपिटल लैटर्स और साफ हेडराइटिंग में लिखें दवा के नाम : डॉ भौमिक

उत्तर प्रदेश देश सेहत
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  • तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर और नेशनल एसोसिएशन ऑफ फॉर्माक्लोजी एंड थेरप्यूटिक का ऑनलाइन गेस्ट लेक्चर

उत्तर प्रदेश। डॉक्टर्स के लिए अपने पेशेंट की सुरक्षा सर्वोपरि है। मरीज को रोग के संग-संग दवाइयों के गलत प्रयोग से भी बचाना मेडिकल स्टाफ की जिम्मेदारी है। रोगी को दवाई देते समय कभी-कभार गलती कर देते हैं, जिसका पेशेंट पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मेडिकल स्टाफ से दवाइयों को लिखते समय, फार्मासिस्ट से दवाई के गलत नाम समझने , नर्सो की ओर से जाने-अनजाने में गलत दवाइयां रोगी को दे देने से ये गलतियां हो सकती हैं। उक्‍त बातें पीयरलेस हॉस्पिटल एंड बीके रॉय रिसर्च सेंटर (कोलकता) के क्लीनिकल डायरेक्टर डॉ सुभ्रज्योति भौमिक ने कही। वे तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर और नेशनल एसोसिएशन ऑफ फॉर्माक्लोजी एंड थेरप्यूटिक की ओर से मेडिकेशन एरर एंड पेशेंट सेफ्टी पर आयोजित ऑनलाइन गेस्ट लेक्चर में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।

एरर्स को रोकने के लिए अलग से हो विभाग

डॉ भौमिक ने कहा वैसे तो ये गलतियां छोटी हैं, लेकिन इनके परिणाम घातक हो सकते हैं। अतः हमें इन एरर्स को रोकना होगा। इन एरर्स को रोकने के तरीकों पर प्रकाश डालते हुए बोले, डॉक्टर्स को दवाइयों का नाम हमेशा कैपिटल लैटर्स और साफ हेडराइटिंग में लिखना चाहिए। फार्मासिस्ट को डॉक्टर्स के पर्चे को पूरी तरह से चेक करके ही दवा देना चाहिए। इसके अलावा नर्स को भी डॉक्टर के पर्चे में क्रास चेक करके ही रोगी को दवा की खुराक देनी चाहिए। डॉ भौमिक ने इन मेडिकेशन के एरर्स को रोकने के लिए प्रत्येक हॉस्पिटल में अलग से एक विभाग बनाने की पूरजोर वकालत की।

एमबीबीएस और एमडी के विद्यार्थियों ने लिया हिस्‍सा

इससे पूर्व तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में फार्माक्लोजी के हेड प्रो प्रीथपाल सिंह मटरेजा ने मुख्य अतिथि का परिचय कराया। लगभग 45 मिनट चले इस गेस्ट लेक्चर में निदेशक प्रशासन अभिषेक कपूर, मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ श्यामोली दत्ता, मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल प्रो एसके जैन, मेडिकल सुप्रीडेंटेंट डॉ अजय पंत के अलावा एमबीबीएस और एमडी के 160 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया।