बिहार से सीधा जुड़ेगा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, दिल्‍ली का सफर भी होगा आसान

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  • एनएचएआई बनाएगा 134 किमी लंबा गाजीपुर-बलिया-मांझीघाट एक्सप्रेस वे, डीपीआर बना रही एनएचएआई

लखनऊ। प्रदेश वासियों को आने वाले दिनों में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे बिहार से लेकर दिल्ली तक का सफर कराएगा। इसके लिए नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) गाजीपुर-बलिया-मांझीघाट एक्सप्रेस वे बलिया से बक्सर तक 134 किमी लंबा बनाने जा रही है। फिलहाल, एनएचएआई डीपीआर बना रही है। भूमि अधिग्रहण के लिए समिति गठन हो चुका है। एनएचएआई ने यूपीडा को भूमि अधिग्रहण के लिए 500 करोड़ रुपये भी दे दिए हैं।

पीएम ने पिछले साल किया था लोकार्पण

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में लखनऊ से गाजीपुर तक 341 किलोमीटर लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का निर्माण कराया था। इसका लोकार्पण पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से बिहार को जोड़ने के लिए एनएचएआई ने कार्य शुरू कर दिया है। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से गाजीपुर-बलिया-मांझीघाट एक्सप्रेसवे बलिया से बक्सर तक 134 किमी लंबा बनाने जा रहा है। इसमें एनएचएआई गाजीपुर से बलिया तक 117 किमी और बलिया में ही गंगा पुल के पास से 17 किमी का भरौली से बक्सर के लिए भी सड़क देगा। सभी को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से लिंक किया जाएगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर बिहार के बक्सर और मांझीघाट से भी ट्रैफिक आएगा। परियोजना के पूरा होने पर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर यातायात काफी बढ़ जाएगा।

एनएचएआई देगी यूपीडा को धनराशि

भूमि खरीद के लिए हाल ही में एनएचएआई और यूपीडा के बीच एक एमओयू भी हुआ है। परियोजना के निर्माण के लिए गाजीपुर और बलिया जिले में भूमि खरीद यूपीडा करेगा। भूमि खरीद के लिए अनुमोदन समिति का गठन हो चुका है। 50 करोड़ रुपये से अधिक लागत होने पर परियोजना के लिए खरीदी जाने वाली भूमि की दर और कुल भूमि मूल्य पर एनएचएआई के अधिकारी अनुमोदन देंगे। भूमि खरीद के लिए धनराशि एनएचएआई यूपीडा को देगी। कृषकों और भू-स्वामियों से आपसी सहमति के आधार पर भूमि खरीद के बाद परियोजना के लिए अवशेष भूमि के अर्जन की कार्यवाही एनएचएआई करेगी।

अधिकारियों के साथ यूपीडा करेगा समन्वय

गाजीपुर से बलिया मांझीघाट ग्रीनफील्ड परियोजना के निर्माण के लिए गाजीपुर और बलिया जिले में भूमि खरीद के लिए संबंधित जिले के राजस्व अधिकारियों के साथ यूपीडा समन्वय करेगा। जिले स्तर के राजस्व अधिकारियों की ओर से किसानों और भू-स्वामियों से संपर्क करके आपसी सहमति से भूमि खरीद शीर्ष प्राथमिकता पर होगी। यूपीडा के अधिकारियों की ओर से हर समस्या का तात्कालिकता के आधार पर निराकरण किया जाएगा।