
सुकिंदा (ओडिशा)। टाटा स्टील माइनिंग ने ओडिशा के जाजपुर जिले में स्थित सुकिंदा क्रोमाइट माइन में ग्रीन थेरेपी पर कार्यशाला का सोमवार को आयोजन किया। पौधों के औषधीय गुणों के बारे में जागरुकता और समुदाय द्वारा उनके संरक्षण को बढ़ावा देने कि दिशा में यह एक सचेत प्रयास है।
टाटा स्टील माइनिंग अपने संचालन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले जनजातीय लोगों की समृद्ध विरासत और संस्कृति के संरक्षण के लिए काम कर रही है। यह स्थानीय आयुर्वेदिक चिकित्सक या बैद्यों के औषधीय ज्ञान को संजोने के लिए कंपनी द्वारा की गई कई पहलों में से एक है।
ग्रीन थेरेपी कार्यशाला में कटक के श्री श्री विश्वविद्यालय में आयुर्वेद के प्रोफेसर डॉ संजीब दास के साथ पूरे ओडिशा से औषधीय पौधों के 50 प्रतिष्ठित चिकित्सकों ने भाग लिया। दिन भर चले इस कार्यक्रम में क्षेत्र के 200 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। संभागीय वन अधिकारी संजय कुमार स्वैन, अपर वन संरक्षक (कटक वन प्रभाग), सौभाग्य कुमार साहू, प्रबंध निदेशक (टाटा स्टील माइनिंग) पंकज कुमार सतीजा और सीनियर जनरल मैनेजर (माइनिंग, टाटा स्टील माइनिंग) सुशांत कुमार मिश्रा के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
इस अवसर पर संजय कुमार स्वैन ने कहा कि इस तरह के आयोजनों का उद्देश्य पारंपरिक वानस्पतिक औषधीय परंपराओं के संरक्षण में टाटा स्टील माइनिंग के प्रयासों का प्रमाण है। मैं आधुनिक विज्ञान को पारंपरिक ज्ञान के साथ मिश्रित करने में उनके योगदान के लिए चिकित्सकों को बधाई देता हूं।
पंकज कुमार सतीजा ने कहा कि इस तरह के विचार-विमर्श का उद्देश्य सदियों पुरानी परंपराओं को संरक्षित करने और पौधों के औषधीय मूल्य पर हमारे ज्ञान को बढ़ाने में हमारी मदद करना है। यह कार्यक्रम जैव विविधता की दिशा में अपना योगदान देने के लिए हमारे द्वारा शुरू की गई सस्टेनेबिलिटी पहल की श्रृंखला के अनुरूप है।
ग्रीन थेरेपी ने जैव विविधता और पारम्परिक वानस्पतिक परंपराओं पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके अलावा ज्ञान-साझाकरण सत्रों के माध्यम से सीखने के अवसर पैदा करने, औषधीय गुण वाले पौधों के सही उपयोग और पोषण, एक स्थायी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान किया है। कंपनी क्षेत्र की जैव विविधता में सुधार लाने और स्थानीय समुदाय की विरासत को संरक्षित करने के लिए जागरूकता सत्र भी आयोजित करती रही है।