यहां विरोध प्रदर्शन कवर कर रहे पत्रकारों को मार्शलों ने पीटा, जानें पूरा मामला

उत्तर प्रदेश देश
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उत्तर प्रदेश। देश भर में पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं। पत्रकारों को सुरक्षा देने की मांग ठंडे बस्ते में है। यहां पत्रकारों को फिर निशाना बनाया गया है। बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के लॉन में समाजवादी पार्टी के विरोध प्रदर्शन को कवर कर रहे पत्रकारों को सोमवार को मार्शलों ने पीटा। कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को चोटें आईं और एक फोटो पत्रकार के चेहरे पर मुक्का मारा गया।

यह घटना उस समय हुई, जब राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को बजट सत्र शुरू करने के लिए सांसदों को संबोधित करने के लिए विधानसभा पहुंचना था। निर्धारित विरोध प्रदर्शन विधानसभा के लॉन में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की मूर्ति पर होना था, जो लंबे समय से विपक्ष के इस तरह के विरोध प्रदर्शनों के लिए मुख्य स्थल रहा है।

पत्रकारों के मुताबिक, मार्शलों ने विरोध प्रदर्शन को कवर करने से रोकने के लिए ही हिंसा का सहारा लिया। मार्शलों ने जैसे ही पत्रकारों को धरनास्थल से हटाने की कोशिश की, तो वहां हंगामा, हाथापाई और भगदड़ जैसे हालात बन गए। इस घटना में मीडियाकर्मियों के कैमरे और अन्य उपकरण क्षतिग्रस्त हो गए।

उन्होंने कहा कि यह ‘अभूतपूर्व’ था, क्योंकि विधानसभा परिसर में पत्रकारों के खिलाफ इस तरह की हिंसा पहले कभी नहीं हुई। उन्होंने मार्शलों की संलिप्तता पर भी सवाल उठाया, जिनकी भूमिका सदन के अंदर की स्थिति को संभालने तक सीमित है और बाहर नहीं। सदन के बाहर हालात संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की है।

दैनिक भारत 24. कॉम  से बात करते हुए एक वरिष्ठ पत्रकार सेमाब नकवी ने कहा, ‘यह मीडिया में विपक्ष के कवरेज को रोकने का प्रयास लगता है। मार्शलों ने मुझे कवरेज से रोकने की कोशिश की। यह पहली बार है, जब किसी ने राज्य विधानसभा के अंदर मीडिया कवरेज को बाधित किया है।’

फोटो पत्रकार विशाल श्रीवास्तव को चेहरे पर मुक्का मारा गया। उनका कहना है कि मार्शलों ने पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें पीटा। उन्होंने कहा, ‘हम एक दशक से अधिक समय से विधानसभा को कवर कर रहे हैं, लेकिन काम करते हुए इस तरह के अपमान का सामना कभी नहीं किया। हम सरकार के उच्चाधिकारियों के समक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे। वरना यह मीडिया को चुप कराने की मिसाल बन जाएगा।’

उत्तर प्रदेश अधिमान्य पत्रकार समिति (यूपीएसीसी) ने इस घटना की निंदा की और अपना विरोध दर्ज कराने के लिए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से मुलाकात की और घटना में शामिल मार्शलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

यूपीएसीसी ने कहा, ‘हमने मार्शलों का ऐसा भयावह व्यवहार कभी नहीं देखा। यूपी विधानसभा के इतिहास में यह पहली बार है कि पत्रकारों को विधानसभा कवरेज के दौरान इस तरह के उपद्रवी व्यवहार का शिकार होना पड़ा।’

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पत्रकारों पर हुए हमले की निंदा की है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार ने पूरी व्यवस्था को ‘तानाशाही’ में तब्दील कर दिया है। उन्होंने कहा कि जनता के मुद्दों पर विरोध करना और आवाज उठाना विपक्ष का लोकतांत्रिक अधिकार है और इसे कवर करना मीडिया और पत्रकारों की जिम्मेदारी है।

यादव ने कहा, ‘यह अलोकतांत्रिक है कि विधानसभा परिसर में पत्रकारों पर हमला किया जा रहा है। भाजपा सरकार अपने कुशासन की खबरें देखना और सुनना नहीं चाहती है।’