प्रो केवी सुब्रमण्यम
प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना जैसे अनेक प्रयासों ने श्रमिकों को एक तरह का सुरक्षा कवच दिया है। ऐसी योजनाओं की वजह से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के मन में ये भाव जगा है कि देश उनके श्रम का भी उतना ही सम्मान करता है।
देश के इन प्रयासों का कितना प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। इसके साक्षी हम कोरोना काल में भी बने हैं। ‘इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम’ की वजह से लाखों छोटे उद्योगों को मदद मिली है। एक अध्ययन के मुताबिक इस स्कीम की वजह से करीब डेढ़ करोड़ लोगों का रोजगार जाना था, वो नहीं गया। रोजगार बच गया।
कोरोना के दौर में EPFO से भी कर्मचारियों को बड़ी मदद मिली। हजारों करोड़ रुपये कर्मचारियों को एडवांस के तौर पर दिए गए। आज हम देख रहे हैं कि जैसे जरूरत के समय देश ने अपने श्रमिकों का साथ दिया, वैसे ही इस महामारी से उबरने में श्रमिकों ने भी पूरी शक्ति लगा दी है। आज भारत फिर से दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था बना है। इसका बहुत बड़ा श्रेय हमारे श्रमिकों को ही जाता है।
देश के हर श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए, किस तरह काम हो रहा है, उसका एक उदाहरण ‘ई-श्रम पोर्टल’ भी है। ये पोर्टल पिछले साल शुरू किया गया था, ताकि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए आधार से जुड़ा नेशनल डेटाबेस बन सके। एक साल में ही इस पोर्टल से 400 अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले करीब 28 करोड़ श्रमिक जुड़ चुके हैं।
विशेष रूप से इसका लाभ कन्स्ट्रकशन वर्कर्स को, प्रवासी मजदूरों को, और डॉमेस्टिक वर्कर्स को मिल रहा है। अब इन लोगों को भी Universal Account Number जैसी सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। श्रमिकों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए, ‘ई-श्रम पोर्टल’ को National Career Service, असीम पोर्टल और उद्यम पोर्टल से भी जोड़ा जा रहा है।
बीते आठ वर्षों में हमने देश में गुलामी के दौर और गुलामी की मानसिकता वाले कानूनों को खत्म करने का बीड़ा उठाया है। देश अब ऐसे लेबर कानूनों को बदल रहा है। रीफॉर्म कर रहा है, उन्हें सरल बना रहा है। इसी सोच से 29 लेबर कानूनों को 4 सरल लेबर कोड्स में बदला गया है। इससे हमारे श्रमिक न्यूनतम सैलरी, रोजगार की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे विषयों पर और सशक्त होंगे।
नए लेबर कोड्स में Inter-State migrant labours की परिभाषा को भी सुधारा गया है। प्रवासी श्रमिकों को ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ जैसी योजना से भी बहुत मदद मिली है।
देश का श्रम मंत्रालय अमृतकाल में वर्ष 2047 के लिए अपना विजन भी तैयार कर रहा है। भविष्य की जरूरत है- Flexible work places, work from home ecosystem. भविष्य की जरूरत है- Flexi work hours. हम flexible work place जैसी व्यवस्थाओं को महिला श्रमशक्ति की भागीदारी के लिए अवसर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
(लेखक पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार हैं)