घने कोहरे के बीच छठव्रतियों ने उदीयमान भगवान भास्कर को दिया अर्घ्य

झारखंड धर्म/अध्यात्म
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  • लोगों ने की अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना

आशीष कुमार वर्मा

चक्रधरपुर। शहर में लोक आस्था के छठ महापर्व के चौथे और अंतिम दिन 8 नवंबर को छठव्रतियों ने उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य दि‍या। इसके साथ छठ महापर्व का समापन हो गया। बड़ी संख्या में छठव्रती छठ घाटों पर पहुंचकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। सभी ने अपने और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

छठ घाटों पर अर्घ्य देने के लिए छठव्रतियों के लिए सामाजिक संगठनों की ओर से दूध का वितरण किया गया। इसके साथ ही छठ घाटों में नगर परिषद के द्वारा प्रकाश की व्यवस्था की गई थी। वहीं सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस बल की तयनाती की गई थी

घने कोहरे के कारण सड़क में दूर तक देख पाना मुश्किल था। कोहरे के कारण छठव्रतियों को छठ घाट तक आने के लिए थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं छठ घाटों को भी कोहरे ने अपने आगोश में ले लिया था।

आपको बता दें कि बिहार-झारखंड में छठ पर्व का विशेष महत्व है। बिहार-झारखंड के लगभग हर घर में छठ पर्व पूरी आस्था और भक्ति के साथ मनाया जाता है। छठ में शुद्धता का भी पूरा ख्याल रखा जाता है।

चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। नहाय-खाय के दूसरे दिन चावल और गुड़ से बने प्रसाद को भगवान को अर्पित करने के बाद छठ व्रती उस प्रसाद को ग्रहण करती हैं। जिसके बाद छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।

पर्व के तीसरे दिन तालाबों, पोखरों और नदियों में खड़े होकर छठ व्रती अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद अपने घर लौटती हैं। पर्व के अंतिम दिन छठव्रती सुबह-सुबह छठ घाट पर पहुंचती हैं। उगते हुए भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य देने के बाद अपना 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त करती हैं।

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