खदानों को वैज्ञानिक ढंग से बंद करने पर विशेष ध्यान देगा कोयला मंत्रालय, बनी रणनीति

नई दिल्ली देश
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नई दिल्‍ली। कोयला खदानों को जिम्मेदार और पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर बंद करने को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में कोयला मंत्रालय ने परित्यक्त और बंद पड़े खदानों के समाधान के लिए पहल की है। खदानों को बंद करने की प्रक्रियाएं अनियंत्रित रही हैं, जिनके तहत उपकरण और सामग्री को छोड़ दिया जाता है। खदान स्थल उपेक्षित पड़े रहते हैं। एक व्यवस्थित दृष्टिकोण की आवश्यकता की जरूरत को समझते हुए मंत्रालय ने 2009 में खदान बंद करने के दिशानिर्देश पेश किए। वर्ष, 2013 और 2020 में संशोधित किया गया। इनमें पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए सुरक्षित और स्थाई आधार पर खदान बंद करने पर जोर दिया गया है।

वर्ष, 2009 से पहले बंद की गई खदानों में अक्सर बंद करने की संरचनात्मक रूपरेखा का अभाव होता था, जिसके कारण गैर-वैज्ञानिक तरीके से खदान बंद किये जाते थे। इन परित्यक्त खदानों से जुड़े भौतिक खतरों और पर्यावरणीय परिणामों को देखते हुए मंत्रालय ने 2009 से पहले बंद हुई खदानों के प्रबंधन के लिए अक्टूबर 2022 में दिशानिर्देश जारी किए। उन्हें वर्तमान में बंद, परित्यक्त या अंतिम रूप से बंद के रूप में वर्गीकृत किया।

कोल इंडिया ने मंत्रालय के दृष्टिकोण के अनुरूप खदानों की पहचान की है। उन्हें बंद करने की दिशा में सक्रिय कदम उठाए हैं। वर्ष, 2009 से पहले की 169 और 2009 के बाद की 130 खदानों की पहचान की गई है, जिन्हें वर्तमान में बंद, परित्यक्त या अंतिम रूप से बंद माना जाता है। इनमें से 2009 से पहले की 68 खदानें अंतिम रूप से बंद करने के लिए चिह्नित की गयीं हैं। इनमें से 63 खदानों के लिए अंतिम रूप से खदान बंद करने की योजनाएं (एफएमसीपी) परिश्रमपूर्वक तैयार की गई हैं। इसके अतिरिक्त, 2009 से पहले की 14 खदानों को अस्थायी तौर पर बंद करने के लिए चिन्हित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक के लिए खदान बंद करने की व्यापक अस्थायी योजना (टीएमसीपी) विकसित की गई है।

साल, 2009 के बाद की खदानों के संबंध में कोल इंडिया सक्रिय रूप से 35 एफएमसीपी तैयार कर रहा है, जो खदान बंद करने की जिम्मेदार प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। इसके साथ ही सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) ने 2009 से पहले की 6 खदानों को अस्थायी रूप से बंद करने के लिए और 2009 के बाद की पांच खदानों को अंतिम रूप से बंद करने के लिए चिन्हित किया है।

उल्लेखनीय है कि इन चिन्हित खदानों के लिए खदान बंद करने की गतिविधियाँ पहले से ही चल रही हैं, जो सतत पर्यावरण के लिए कोल इंडिया और एससीसीएल दोनों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं।

इसके अलावा, मंत्रालय ने खदान बंद करने की रूपरेखा को मजबूत करने और सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय तौर-तरीकों को अपनाने के लिए मौजूदा खदान योजना दिशानिर्देशों की समीक्षा करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की है।

खदान बंद करने की इन व्यापक गतिविधियों को सुव्यवस्थित करने और निगरानी करने के लिए सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआई) ने एक पोर्टल विकसित किया है। यह केंद्रीकृत स्रोत बंद करने की गतिविधियों की निगरानी की सुविधा देता है, जिनमें पुनर्प्राप्ति, बंद होने के बाद वायु और जल की गुणवत्ता, भूमि पुनर्उपयोग और सामाजिक समर्थन उपाय शामिल हैं।

सामूहिक रूप से ये पहलें खदान बंद करने की जिम्मेदार और वैज्ञानिक रूप से सुदृढ़ प्रयास के रूप में एक आदर्श बदलाव का संकेत देती हैं, जो पर्यावरण प्रबंधन और सामुदायिक कल्याण के लिए कोयला मंत्रालय की प्रतिबद्धता के अनुरूप भी हैं।

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