ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के लिए हाहाकार, झोलाछाप डॉक्‍टरों की चांदी

झारखंड
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  • अधिकांश चापाकल और सोलर जलमीनार हाथी के दांत साबित हो रहे

सुंदरम कुमार

गुमला। गर्मी ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। चिलचिलाती धूप और पछिया हवा लोगों को घरों में सिमट जाने को विवश कर रहे हैं। इस बीच गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के लिए हाहाकार मचा गया है। अधिकतर चापाकल और सोलर जलमीनार हाथी के दांत साबित हो रहे हैं। बिजली की आंख मिचौली भी जारी है। इन हालातों से लोगों को दोहरी परेशानी हो रही है।

लोगों के मुताबिक सैकड़ों चापानल मरम्मत के अभाव में खुद प्यासे नजर आ रहे हैं। अधिसंख्‍य नदी, जोरिया, तालाब सूख गए हैं। एक-दो तालाबों में यदि पानी है तो वह नहाने, कपड़े साफ करने, यहां तक कि पशुओं को नहाने के काम आ रहा है। इतना ही नहीं, उसी दूषित पानी का सेवन करने को ग्रामीण मजबूर हैं। इससे वे विभिन्न बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।

ग्रामीण बीमारी की इलाज के लिए झोलाछाप डॉक्टरों के चंगुल में फंसकर अपनी गाढ़ी कमाई गंवा रहे हैं। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग पहल नहीं कर रहा है। ग्रामीणों ने उपायुक्त से मांग की है कि क्षेत्र में शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए लगाए गए चापानल, जल मीनार व ग्रामीण इलाकों में बंद उप स्वास्थ्य केंद्रों को अविलंब चालू कराया जाय।

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