मन्नत पूरी होने पर आभार प्रकट करने त्रिपुरा से खूंटी के तोरपा में बाबा नागेश्वर धाम पहुंचा दंपती

झारखंड
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खूंटी। झारखंड के खूंटी जिले के तोरपा में स्थित बाबा नागेश्वर धाम की महिमा अपरंपार है। कहते हैं यहां सच्चे मन से जो भी मांगो, बाबा अवश्य पूरा करते हैं। तभी तो बाबा नागेश्वर धाम में भोलेनाथ से मांगी गई मन्नत पूरी होने पर त्रिपुरा का रहने वाला दंपती रविवार को भोलेनाथ का आभार प्रकट करने तोरपा के पतरायुर पहुंचा।

राजेश महतो और उनकी पत्नी कल्पना देवी, जो मूल रूप से त्रिपुरा की रहनेवाली हैं, ने कुछ माह पहले तोरपा के पतरायुर स्थित बाबा नागेश्वर धाम में मन्नत मांगी थी।

कल्पना ने बताया कि उनकी छोटी बहन की शादी में बार-बार बाधा आ रही थी। उम्र भी बढ़ती जा रही थी, ऐसे में कल्पना ने नागेश्वर धाम जाकर भोलेनाथ से अपनी बहन की शादी की मन्नत मांगी। कुछ महीनों के बाद ही उसकी बहन की शादी हो गई।

इसका आभार व्यक्त करने और पूजा-अर्चना के लिए कल्पना अपने पति और पूरे परिवार के साथ नागेश्वर धाम पहुंची। राजेश महतो त्रिपुरा में सरकारी स्टेट रायफल में नौकरी करते हैं।

बाबा नागेश्वर धाम के मुख्य पुजारी नारायण दास कहते हैं कि बाबा भोलेनाथ के दरबार से कोई भक्त खाली हाथ नहीं जाता। सच्चे मन से मांगने पर बाबा सबकी मनोकामना पूरी करते हैं। पुजारी बताते हैं कि पिछली छह पीढ़ियों से उनका परिवार पतरायुर स्थित बाबा नागेश्वर धाम में पूजा-अर्चना करता आ रहा है।

उन्होंने बताया कि यह स्वयंभू शिवलिंग हैं। किंवदंती है कि काफी समय पहले एक राजा ने शिवलिंग को वहां से ले जाने के लिए 15 फीट से अधिक गहराई तक खुदाई की थी, ताकि शिवलिंग को उखाड़ लिया जाए, जब सफलता नहीं मिली, तो हाथी से शिवलिंग को खींचने का प्रयास किया गया, फिर भी शिवलिंग टस से मस नहीं हुआ। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, नागेश्वर धाम की प्रसिद्धि भी बढ़ती जा रही है।

पुजारी नारायण दास बताते हैं कि तोरपा के अभू पंडा इस क्षेत्र के जानेमाने पुरोहित थे, लेकिन वे निःसंतान थे। उन्होंने कई मंदिरों में मन्नत मांगी, पर उन्हें संतान सुख नहीं मिला। एक बार वे बाबा नागेश्वर धाम पहुंचे और भोलनाथ से मन्नत मांगी कि अच्छा न सही, कम से पागल बेटा भी तो दे दो। कुछ ही दिनों में अभू पंडा के दो पुत्र हुए पर दैव योग कहें या कुछ और, उनके दोनों पुत्र पागल निकले। 15-20 साल पहले दोनों की मृत्यु हुई है।

नारायण दास ने बताया कि वहां के जमींदार ने उनके पूर्वजों को दो एकड़ 41 डिसमिल जमीन पूजा के लिए दान में दी थी। पुजारी दावा करते हैं कि पहले शिव लिंग में हमेशा एक नाग लिपटा रहता था, जिसे कई लोगों ने देखा। इसके कारण इसका नाम बाबा नागेश्वर धाम पड़ा। तोरपा प्रखंड मुख्यालय से इसकी दूरी लगभग तीन किलोमीटर है।