प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कॉफी टेबल बुक में झारखंड के शिक्षक डॉ सपन कुमार पत्रलेख को मिली जगह

झारखंड
Spread the love

  • उनके पढ़ाने के अनोखे तरीके ब्लैकबोर्ड मॉडल पर विस्तार से है चर्चा

जरमुंडी (दुमका)। प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 100 एपिसोड पूरे होने पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार ने ‘मेरे प्यारे देशवासियों’ नाम से कॉफी टेबल किताब प्रकाशित किया है। इसमें देश के चुनिंदे लोगों की तस्वीर और उनकी उपलब्धियों की गाथा प्रकाशित की गई है।

पांच तस्‍वीर भी शामिल

असाधारण उल्लेखनीय कार्य का प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में चर्चा की। इनमें झारखंड से एक नाम शामिल किया है। वह है डॉ सपन कुमार पत्रलेख। डॉ सपन के ब्लैकबोर्ड मॉडल का विशिष्ट पुस्तक में विस्तार से चर्चा की गई है। पांच तस्वीर भी शामिल की गई है।

डाक से मिली किताब

झारखंड के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षक डॉ सपन कुमार पत्रलेख का जिक्र प्रधानमंत्री के मन की बात कॉफी टेबल बुक में देश के कई राज्यों के उल्लेखनीय काम करने वालों के साथ किया गया है। इसे थिंकिंग कैंप क्रिएटिव प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 233 पन्नों में प्रकाशित किया गया है। डॉ सपन कुमार पत्रलेख को डाक के माध्यम से किताब सूचना एवं प्रसारण विभाग द्वारा भेजा गया है।

बेहतर करने की प्रेरणा

इस मौके पर डॉ सपन कुमार पत्रलेख ने कहा कि निश्चित तौर पर ‘मेरे प्यारे देशवासियों मन की बात कॉफी टेबल किताब’ में स्थान पाना गौरव की बात है। यह झारखंड के सभी लोगों का सम्मान है। इस किताब में देशभर में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले दर्जनों लोगों के उल्लेखनीय कार्यों का जिक्र है। इसमें उनके पढ़ाने के अनोखे तरीके ब्लैकबोर्ड मॉडल का भी जिक्र है। यह किताब इतिहास में दर्ज होने के साथ उन्हें और बेहतर काम करने के लिए प्रेरणा देती है। गांधी जी के स्वराज के सपनों एवं प्रधानमंत्री के एक भारत श्रेष्ठ भारत बनाने में यह किताब अपनी अहम भूमिका निभाएगा।

ग्रामीणों ने किया स्‍वागत

इस किताब में डॉ सपन के ब्लैकबोर्ड मॉडल पर लिखा गया है, ‘कोविड-19 महामारी पूरे विश्व के समुदाय के लिए चुनौती थी। परीक्षा की इस घड़ी में कई भारतीयों ने अपने समुदाय की मदद के लिए नए-नए तरीके खोजे। झारखंड के दुमका जिला के जरमुंडी में शिक्षक डॉ सपन कुमार पत्रलेख ने नई शिक्षा नीति से प्रेरित होकर ब्लैकबोर्ड मॉडल को अपनाया। तस्वीरों के सहारे उन्होंने अपना शिक्षण कार्य जारी रखा। इस प्रकार यह सुनिश्चित किया कि उनके गांव के बच्चे बिना किसी बाधा के अपनी पढ़ाई जारी रख सके। ग्रामीणों के पढ़ाने की इस माध्यम का स्वागत किया।’

अजुले का संदेश भी

किताब में यूनेस्को के महानिदेशक सुश्री अजुले के संदेश को स्थान दिया गया है। सुश्री अजुले ने संदेश में कहा है कि रेडियो स्वतंत्रता का संदेश भी देता है, क्योंकि यह दुनिया के लिए एक खिड़की है। रेडियो निकटता अपनत्व और विविधता का भी संदेश देता है। कोई अन्य माध्यम नहीं हो सकता है।