मुख्‍यमंत्री का निर्देश, सरकारी शिक्षकों को शिक्षण के अलावा और कोई कार्य में नहीं लगाएं

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  • हेमंत सोरेन ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अद्यतन कार्य प्रगति की समीक्षा की

रांची। झारखंड एजुकेशन रिफॉर्म की ओर आगे बढ़ रहा है। पहले चरण में 80 स्कूलों को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के रूप में तब्दील किया गया है। सभी वर्ग-समुदाय के लोगों ने शिक्षा के क्षेत्र में किए गए इस नई पहल को सराहा है। बच्चों ने स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में तब्दील इन विद्यालयों में नामांकन को लेकर रुचि दिखायी है। उक्‍त बातें मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने कही। उन्‍होंने 16 जून को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अद्यतन कार्य प्रगति की समीक्षा की।

सीएम ने कहा कि अभिभावकों में बच्चों के क्वालिटी एजुकेशन को लेकर राज्य सरकार के प्रति विश्वास जगा है। आने वाले समय में सरकार का यह नवीन पहल राज्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इन स्कूलों पर सभी जिलों के उपायुक्त विशेष नजर रखें।

मुख्यमंत्री ने दिए ये निर्देश

★ अक्सर देखा जाता है कि सरकारी व्यवस्था की शुरुआत बहुत अच्छी होती है, लेकिन अंत उतनी अच्छी तरह से नहीं होता है। स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के मामले में ऐसा बिल्कुल नहीं हो, यह सभी की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि किसी भी तरह स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की व्यवस्था ध्वस्त नहीं हो, यह सुनिश्चित करें।

★ राज्य के प्रत्येक जिलों में अलग-अलग व्यवस्था एवं क्षमताएं हैं। स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में कई और चीजें जोड़ने की आवश्यकता है। उपायुक्त निरंतर इन स्कूलों का मॉनिटरिंग करें।

★ कभी-कभी विभाग या कार्यपालिका के अंदर कार्यशैली में विसंगतियां पाई जाती हैं, जो उलझने पैदा करती हैं। कई बार व्यवस्थाओं में चीजें पीछे जाने लगती है, ऐसा बिल्कुल नहीं हो। इसका ख्याल रखें।

★ सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को पठन-पाठन के अलावा और कोई कार्य में नहीं लगाएं। इस निमित्त विभाग एक नियमावली तैयार करे। विभाग यह भी सुनिश्चित करें कि जिला के उपायुक्त जिला शिक्षा पदाधिकारियों के साथ बैठक कर गुणवत्ता शिक्षा के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य करे।