BAU खरीफ अनुसंधान परिषद् : मौसम परिवर्तन अनुकूल कम लागत वाली तकनीकी विकास पर जोर

कृषि झारखंड
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रांची। बिरसा कृषि विवि (BAU) की 43वीं खरीफ अनुसंधान परिषद् की बैठक में विशेषज्ञों ने मौसम परिवर्तन अनुकूल कम लागत वाली तकनीकी विकास पर जोर दिया। बैठक के दूसरे दिन भी तकनीकी सत्र में कृषि संकाय के विभिन्न विभागों के वैज्ञानिकों ने खरीफ शोध कार्यक्रमों की उपलब्धियों एवं आगामी शोध कार्यक्रमों को पेश किया।

कृषि विशेषज्ञ डॉ एचएस गुप्ता ने फसल किस्मों के विकास में न्यूनतम 3 वर्षों तक मल्टी लोकेशन ट्रायल करने, उत्कृष्ट उन्नत फसल किस्मों के जर्मप्लाज्म को संरक्षित रखने, राज्य के अनुकूल शोध परियोजना कार्यक्रमों को प्राथमिकता देने, सोयाबीन प्रसंस्करण संयत्र को सशक्त करने, बहुफसलों के विपणन को प्रोत्साहित करने और पोर्टेबल तेल मिल को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता जताया।

परिषद् के अध्यक्ष कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने झारखंड में मिलेट्स फसल अधीन रागी एवं बाजरा के शोध को विशेष को बढ़ावा देने, कृषि यंत्रीकरण को प्रोत्साहित कर खेती का रकबा एवं उत्पादन में वृद्धि, महिला कृषक फ्रेंडली अधिकाधिक टूल्स एवं कृषि यंत्र का विकास, दुमका में आम, लीची एवं अमरूद के अनुसंधान को सशक्त करने और अमरुद के थाई किस्म को बढ़ावा पर जोर दिया।

भारतीय कृषि जैवप्रौद्योगिकी संस्थान, रांची के निदेशक डॉ सुजय रक्षित ने वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत कृषि जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने शोध अध्ययन को अपनाने में मौसम आधारित संपूर्ण फसल प्रबंधन में जैव प्रौद्योगिकी विषयक शोध प्रयासों, जुताई एवं अवशेष प्रबंधन और फसलों के पैकेज एंड प्रैक्टिसेज प्रणाली के उन्नयन की बात कही।

निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह ने बताया कि शोध कार्यक्रमों पर गहन और विस्तृत चर्चा हुई। देर शाम खरीफ अनुसंधान की रणनीति एवं अनुशंसा जारी की जाएगी।

बैठक में उत्कृष्ट किसानी कार्यों के लिए मिलेट्स फसल में खूंटी की शिलवंती मुंडू, एलोवेरा में नगरी प्रखंड के देवरी गांव के सुनील कच्छप, सुकरपालन में बड़कागांव, हजारीबाग के नकुल कुमार और पोल्ट्री फार्मिंग में अनगड़ा, रांची के मालिया बेदिया को सम्मानित किया गया। मौके पर सम्मानित किसानों ने आगंतुक अतिथि एवं वैज्ञानिकों के साथ अपने अनुभवों को साझा किए।

मौके पर डॉ जगरनाथ उरांव, डॉ डीके सिंह द्रोंन, डॉ बीके राय, डॉ एमएस यादव, डॉ सुशील प्रसाद, डॉ डीके शाही, डॉ एमके गुप्ता, डॉ एन कुदादा, डॉ एके सिंह, डॉ एके पांडे सहित विवि के वैज्ञानिक भी मौजूद थे।