प्रस्तावित डीपीडीपी बिल का आरटीआई कार्यकर्ताओं ने किया विरोध

झारखंड
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  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा पत्र

गुमला। भारतीय सूचना अधिकार रक्षा मंच ने प्रस्‍तावित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 (डीपीडीपी) का विरोध किया है। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इसे सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के खिलाफ बताया है। संशोधन को रोकने की मांग की है।

मंच के सचिव एवं आरटीआई कार्यकर्ता आनंद किशोर पंडा ने पत्र में कहा है कि प्रस्तावित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल से सूचनाओं की पारदर्शिता समाप्त हो जाएगी। प्रस्तावित बिल की धारा 2, धारा 29 (2) और धारा 30 (2) में किए गए प्रावधान से आरटीआई कानून पर खतरा है। बिल की धारा 2 की उपधारा 12, 13 एवं 14 में पर्सनल डाटा की बताई गई परिभाषा में न केवल व्यक्ति की जानकारी, बल्कि पूरे राज्य, कंपनी अथवा किसी संस्था की भी जानकारी शामिल की गई है।

पंडा ने कहा कि धारा 29 (2) में डाटा प्रोटक्शन बिल को अब तक के बनाए गए समस्त कानूनों में सर्वोपरि बताया गया है। इसी प्रकार धारा 30 (2) में आरटीआई कानून की धारा 8(1) (जे) को पूरी तरह से हटा दिया गया है। यदि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में आम जनमानस को निजता के नाम पर लोक हितकर और सरकारी योजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार से  संबंधि‍त कोई भी जानकारी नहीं मिल पाएगी।

सचिव ने यह भी कहा है कि जो जानकारी संसद और राज्य विधानमंडल को प्रदान की जाती थी, वह आम नागरिक को भी प्राप्त करने का हक आरटीआई के तहत है। हालांकि प्रस्तावित डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के वर्तमान स्वरूप में पारित हो जाने पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए आम नागरिकों को भारी मुश्किलें हो जाएगी। हालात यह होगा कि सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार बढ़ेगा। भ्रष्टाचारियों को संरक्षण मिलेगा, जो लोकतंत्र में जनता के हित के लिए कतई उचित नहीं है।