माध्यमिक शिक्षकों के प्रवरण वेतनमान को लेकर मोर्चा ने कसी कमर

झारखंड
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रांची। माध्यमिक शिक्षकों के प्रवरण वेतनमान का मामला अब सुलझ नहीं पाया है। प्रवरण वेतनमान संघर्ष मोर्चा ने आरोप लगाया कि शिक्षकों को वेतनमान से वंचित करने के लिए विभाग नये ने हथकंडे अपना रहा है। वेतनमान को लेकर मोर्चा आंदोलन कर रहा है। हर हाल में वेतनमान दिलाने के लिए कमर कस चुका है।

प्रवरण वेतनमान संघर्ष मोर्चा के प्रदेश सचिव अमर नाथ झा ने कहा कि झारखंड सरकार का माध्यमिक शिक्षा विभाग शिक्षकों को 1993 से लंबित प्रवरण वेतनमान से वंचित करने के लिए अजीबोगरीब तरीका अपना रहा है। पूर्ववर्ती बिहार के 1989 की नियमावली को खत्म करने के लिए झारखंड गठन के बाद से ही शिक्षक संघ संघर्षरत रहा है। नियमावली 2004 में 1989 के नियमों को बदला तो गया, परंतु प्रवरण वेतनमान की चर्चा नहीं की गई।

संघ की मांग पर 2011 में सचिव ने कमेटी गठित की। बिहार ने भी 2014 में 1989 की नियमावली को शिथिल किया। यहां भी माध्यमिक शिक्षक नियमावली 2015 बनी एवं अधिसूचना 434/2016 निर्गत हुआ।

वर्षों से लंबित प्रवरण वेतनमान के लिए नियमावली के अध्याय 3 की कंडिका 6 (1) में स्पष्ट प्रावधान है कि मूल कोटि के वेतनमान में 12 वर्षों की संतोषप्रद सेवा के बाद उस श्रेणी का वरीय वेतनमान देय होगा। स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक की श्रेणी में प्रवरण वेतनमान का लाभ मूल कोटि में मूल कोटि में स्वीकृत पदों का 20% अनुमान्य पद के वरीय वेतनमान में न्यूनतम 12 वर्षों की सेवा करने वाले शिक्षकों को वरीयता के क्रम में देय होगा।

इसे लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा मार्गदर्शन की मांग की गई। तत्कालीन विभागीय सचिव ने दो-दो मार्गदर्शन दिए। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव एवं प्रमंडलीय आयुक्त को भी दी गई।

इसके अनुसार देवघर (2017), गढ़वा (2018), पाकुड़ (2019), गुमला (2020), रांची एवं धनबाद (2020) में संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी ने अपने जिले के उपायुक्तों की अध्यक्षता में स्थापना कर 24 साल पूरा करने वाले स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों का स्वीकृत आदेश जारी किया।

रांची के डीईओ ने 16 दिसंबर, 92 तक 24 वर्ष पूर्ण किए 408 शिक्षकों की स्वीकृत आदेश को कतिपय त्रुटि के कारण अगस्त, 2020 में स्थगित कर दिया। सूची के एक शिक्षक सुनील कुमार शुक्ला ने 2014 में डब्ल्यूपीएस किया था। वर्ष 2015 में न्याय निर्णय आदेश हुआ। 2016 में निदेशक द्वारा रिजेंड आदेश कर न्यायालय में शपथपत्र दाखिल किया कि 434/2016 के अनुसार इन्हें 4 महीना के अंदर प्रवरण वेतन दे दिया जाएगा।

रांची का स्वीकृतादेश स्थगित होने पर शुक्ल ने पुनः अवमानना वाद (संख्या 605/2020) झारखंड उच्च न्यायालय में दायर किया। अवमानावाद से बचने के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने पत्र 1802/2021 निर्गत कर कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया। उसे न्यायालय ने यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि मंत्रिमंडल से पारित एक्ट को वह नहीं बदल सकते।

फिर विभाग ने निदेशक द्वारा गठित 2020 में कमेटी के निर्णय का हवाला देकर संकल्प 1726/ 21 जून 2022 निर्गत किया। इस पर भी न्यायालय ने 29 सितंबर, 2022 को निर्देश दिया कि पूर्व में गढ़वा, देवघर एवं पाकुड़ को किस नियम के तहत दिया गया है, इसकी मूल कॉपी जमा करें।

निदेशक द्वारा मनमानी तरीके से निर्गत पत्र के विरुद्ध राज्य के सभी शिक्षक संघ ने बैठक कर प्रवरण वेतनमान संघर्ष मोर्चा बनाया। शिक्षा मंत्री के समक्ष अपनी बात रखी। शिक्षा मंत्री ने विभाग द्वारा की गई त्रुटि को समझा।

सचिव के साथ शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव अवध नारायण प्रसाद के नेतृत्व में 25 नवंबर, 2022 को मोर्चा के प्रतिनिधि मंडल, उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा ने शिक्षा सचिव के कार्यालय कक्ष में बैठक की। सचिव ने 30 नवंबर को पुनः अपने कक्ष में सभी को बुलाया। कहा कि इस मामला का शिक्षा मंत्री के समक्ष ही निपटारा करेंगे। अभी अवमानना वाद उच्च न्यायालय में लंबित है। साथ ही मोर्चा के प्रतिनिधि की मंत्री, सचिव के साथ नियमावली 434/ 2016 को लागू करने की वार्ता जारी है।

इस बीच कोडरमा एवं धनबाद के जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा बिहार के नियमों का हवाला देकर प्रवरण वेतनमान संबंधी स्वीकृत आदेश जारी कर दिया गया। प्रवरण वेतनमान संघर्ष मोर्चा ने 434/ 2016 के बाद निर्गत (1802/24-09-2021 एवं 126/22) को निरस्त करने की मांग शिक्षा मंत्री के पास रखी है।

मंत्री से वार्ता भी जारी है। मोर्चा ने विश्वास जताया है कि मंत्री द्वारा न्याय किया जाएगा। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने भी शिक्षा मंत्री से आग्रह किया है कि पूर्व में दी गई प्रोन्नति को वापस नहीं लिया जाए। मंत्रिमंडल द्वारा बना नियमावली 434/2016 को बरकरार रखा जाय।

वर्तमान पत्र के मुताबिक उन्हें ही प्रवरण वेतनमान मिलेगा, जो नियुक्ति के विषय में स्नातकोत्तर हो। विभाग से अनुमति लेकर बाद में योग्यता बढ़ाएं हो।

प्रवरण वेतनमान संघर्ष मोर्चा शिक्षकों की लंबित मांग को पूरा होने तक सड़क से सदन तक आंदोलन को चरणबद्ध तरीका से जारी रखेगा।