लायंस क्लब ऑफ रांची ईस्ट, जो बेटियों के जन्म पर मनाता है जश्न, कुसुम बिहार में मां-बेटी को किया सम्मानित

झारखंड
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रांची। चाहे स्त्री की धड़कन हो या पुरुष की, सत्य यही है कि जीवन की प्रथम धड़कन नारी की कोख से ही जन्मती है। जब नारी अपनी कोख में पलने वाले भ्रूण से कोई पक्षपात नहीं करती, तो समाज को इस पक्षपात का अधिकार क्यों?

समय के साथ मान्यताएं भी बदल रही हैं, जो बताती हैं कि नारी अब सबला भी है और पुरुषों के क्षेत्र में दखल देने वाली शक्ति भी। बस जरूरत है बेटियों को और ज्यादा प्रोत्साहन और ज्यादा प्यार की। बेटियां क्या महत्व रखती हैं, यह जानना है, तो लायंस क्लब ऑफ रांची ईस्ट के कोकर स्थित निरामया हॉस्पिटल का रुख कीजिए।

यहां बेटियों के जन्म पर मायूसी नहीं पसरती, शहनाइयां बजती हैं, मिठाईयां बंटती हैं। उनकी किलकारी चेहरे पर उदासी नहीं, बल्कि उल्लास जगाती है। बेटियों के आंखें खोलने पर कनबतियां नहीं होतीं, जोर-शोर से उत्सव मनाया जाता है। यह शुरुआत नई-नई है, लेकिन इसका संदेश दूरगामी है।

यहां बता दें कि नारनौलीय महिला अग्रवाल सभा की अध्यक्ष और लायन सुनीता अग्रवाल ने इस परंपरा की शुरुआत की और उसका बखूबी निर्वहन भी कर रही हैं। इनके प्रयास उम्मीद जगाते हैं कि निश्चित तौर पर एक दिन बेटी और बेटे के बीच का फर्क समाप्त होगा।

तभी तो लायंस क्लब ऑफ रांची ईस्ट के निरामया हॉस्पिटल में जन्मी बच्ची के घर कुसुम विहार जाकर मां और बच्ची को सम्मानित किया गया। लायन सुनीता अग्रवाल का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रहे हैं, उनके पति और क्लब के अध्यक्ष रतन लाल अग्रवाल।