- ग्रामसभा की बैठक में बारीबांध बनाने का हुआ निर्णय
खूंटी। घोर जंगलों के बीच सालों से नक्सल और उग्रवाद की जद में रहे तोरपा की जरिया पंचायत के सुनुरूई गांव के ग्रामीणों सालों से पानी की किल्लत झेल रहे थे। जिला प्रशासन और सेवा वेलफेयर सोसाईटी के सहयोग से इस समस्या का हल उन्होंने महज तीन घंटे में निकाल दिया। ग्रामीणों ने एदेलगड़ा नामक नाले पर दो बोरीबांध बनाकर बहते पानी को महज तीन घंटे में रोक दिया। देखते ही देखते पहाड़ी नाले ने एक बड़े तालाब का रूप ले लिया।
गर्मी में काफी परेशानी
बता दें कि सुनुरूई गांव के लोग सालों से पानी की किल्लत झेल रहे हैं। खासकर गर्मी के दिनों में इन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। खासकर नहाने-धोने और मवेशियों को पानी पिलाना इनके लिए बड़ी चुनौती थी। ऐसे में ग्रामसभा की बैठक में बारीबांध बनाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए सेवा वेलफेयर सोसाईटी और जिला प्रशासन से मदद और मार्गदर्शन मांगा।

काम छोड़ किया श्रमदान
ग्रामसभा के निर्णय के मुताबिक शुक्रवार को गांव के सारे लोग सारे कामकाज छोड़ मदईत (श्रमदान) से एदेलगड़ा पर दो बोरीबांध का निर्माण महज तीन घंटों में कर डाला। ग्रामीणों के साथ सेवा वेलफेयर सोसाईटी के देवा हस्सा समेत अन्य लोगों ने भी श्रमदान किया।
डिल्लीसूद में बना बांध
सुनुरूई के समाजसेवी जोन कोनगाड़ी ने बताया कि इससे पहले भी उनके गांव से सटे डिल्लीसूद में बोरीबांध का निर्माण किया गया था। यह पूरा इलाका पानी की समस्या झेलता है। इस कारण अन्य गांवों के भी सभी छोटे-बड़े नालों पर बोरीबांध बनाने का काम किया जाएगा, जिससे इलाके में जल संकट दूर हो। भूगर्भीय जल स्तर उपर आ सके।

100 बोरीबांध का लक्ष्य
सेवा वेलफेयर सोसाईटी के देवा हस्सा ने बताया कि सोसाईटी पिछले चार वर्षों में जिला प्रशासन और ग्रामसभाओं के बीच समन्यवय स्थापित कर बोरीबांध का निर्माण करा रही है। अब तक 300 से ज्यादा बोरीबांध बनाए जा चुके हैं। इस वर्ष भी जिले में 100 बोरीबांध बनाने का लक्ष्य है। जल संरक्षण के लिए संस्था सामुदायिक सहभागिता को आधार बनाकर काम करती है।
इन लोगों ने किया श्रमदान
देवा हस्सा, जोन कोनगाड़ी, सलील कोनगाड़ी, प्रेम ढ़ोढ़राय, मंगा सोय, मनुएल कंडुलना, सेवेथन कोनगाड़ी, एनेम कोनगाड़ी, बिलकन कोनगाड़ी, बेनेदिक्त कोनगाड़ी, सुलेमान कोनगाड़ी, राफेल कोनगाड़ी, पतरस कोनगाड़ी, सुशांति कंडुलना, फुलमनी कोनगाड़ी, सिमोन सोय, अलबिस सोय, सेगना सोय, अनसलेम सोय, नेलशन सोय, फ्रांसिस सोय, जीवन सोय समेत सभी ग्रामीण।