रांची। ‘मां-बाप की मूरत हैं गुरु, कलयुग में भगवान की सूरत हैं गुरु’, जी हां, एक गुरु ही हैं, जो बच्चों के भविष्य नींव को पुख्ता बनाकर उसे उज्जवल बनाने का काम करते हैं। यही वजह है कि हर साल 05 सितंबर को शिक्षकों को सम्मान देने के लिए शिक्षक दिवस उत्सव की तरह मनाया जाता है।
यह बातें लायंस क्लब ऑफ रांची ईस्ट के अध्यक्ष रतन लाल अग्रवाल ने कहीं। वे आज राजधानी रांची के कोकर स्थित राम लखन सिंह यादव हाई स्कूल और के मल्ली स्कूल में शिक्षक दिवस पर आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। मौके पर शिक्षकों से केक कटवा कर एवं उन्हें मिठाई का पैकेट और गिफ्ट देकर सम्मानित किया गया।
समारोह में पूर्व अध्यक्ष लायन नेमी अग्रवाल और पूर्व अध्यक्ष जैन दिवाकर राजगढ़िया ने कहा कि शिक्षक एक कुम्हार की तरह बच्चों के व्यक्तित्व को गढ़ता है। एक दीपक की तरह जलकर विद्यार्थियों की अज्ञानता का अंधकार दूर करता है।
गुरुजनों का सम्मान करने से व्यक्तित्व में निखार आता है। गुरु ईश्वर का स्वरूप होता है। 5 सितंबर अपने इन्हीं शिक्षकों को शत-शत नमन करने का दिन है। हर साल की तरह इस बार भी 5 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है।
यहां बता दें कि देश के पहले उप-राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक मशहूर दार्शनिक और शिक्षाविद थे। उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में हुआ था। वह शिक्षा के बड़े पक्षधर रहे। उन्होंने भारतीय संस्कृति का देश- विदेश में प्रचार-प्रसार किया।
एक बार राधा कृष्णन के कुछ शिष्यों ने मिलकर उनका जन्मदिन मनाने का सोचा। इसे लेकर जब वे उनसे अनुमति लेने पहुंचे, तो राधाकृष्णन ने कहा कि मेरा जन्मदिन अलग से मनाने की बजाय अगर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा, तो मुझे गर्व होगा। इसके बाद से ही 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। पहली बार शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था।
समारोह में सचिव सुनील माथुर, पुर्जे प्रोजेक्ट चेयरमैन राजीव रंजन और सह सचिव रामा कृष्ण भी उपस्थित थे।