बड़ी खबरः राष्ट्रपति चुनाव में हार के एलान से पहले ही यशवंत सिन्हा की पश्चिम बंगाल में भारी फजीहत, जानें कैसे

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कोलकाता। जीतने और जीत का डंका बजने में अंतर होता है। उसी तरह हारने और फजीहत होने में बड़ा फर्क है।

राष्ट्रपति पद के विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की हार की घोषणा, तो 18 जुलाई को होनी तय ही मानी जा रही है, लेकिन उनकी फजीहत अभी ही हो गई है।

सिन्हा की फजीहत कोई और नहीं, वही ममता बनर्जी कर रही हैं, जिनकी पार्टी टीएमसी की सदस्यता लेकर वो बहुत खुश थे।

यशवंत सिन्हा ने कहा है कि वो पश्चिम बंगाल में प्रचार नहीं करेंगे। तो क्या ममता ने यशवंत सिन्हा को चुनाव प्रचार के लिए पश्चिम बंगाल आने से मना कर दिया है? यह सवाल इसलिए भी बहुत मायने रखता है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इससे पहले यह कहकर सिन्हा को जबर्दस्त झटका दिया था कि अगर बीजेपी पहले बता देती कि वह द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति कैंडिडेट बनाने वाली है, तब विपक्ष का समर्थन भी रहता।

ममता ने कहा कि चूंकि विपक्ष ने एक साझा प्रत्याशी के तौर पर यशवंत सिन्हा का चयन कर लिया है, इसलिए अब चुनाव में मुर्मू का विरोध और सिन्हा का साथ देना उनकी मजबूरी है।

ममता का यह कहना कि वो यशवंत का साथ मजबूरी में देंगी, सिन्हा के लिए बहुत बड़ा झटका है। फिर पश्चिम बंगाल आने से ही ‘मना कर देने’ से तो उनकी फजीहत हो गई। इतना ही नहीं, यशवंत सिन्हा अपने ही गृह प्रदेश झारखंड में भी प्रचार नहीं करेंगे।

पश्चिम बंगाल के बारे में यशवंत सिन्हा ने खुद कहा है कि वो वहां नहीं जाएंगे, क्योंकि ममता बनर्जी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वो सब संभाल लेंगी। झारखंड में प्रचार अभियान नहीं चलाने के पीछे वहां के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐ
एलान करना है।

जब विपक्षी दलों की बैठक में यशवंत सिन्हा के नाम पर चर्चा हुई, तब सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उनकी उम्मीदवारी पर हामी भरी थी, लेकिन एनडीए की तरफ से आदिवासी उम्मीदवार उतारते ही पार्टी ने यू टर्न ले लिया।

वैसे तो पहले दिन से ही तय था कि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष को मुंह की खानी होगी, लेकिन इन सभी समीकरणों के साथ ही महाराष्ट्र के क्षेत्रीय दल शिवसेना में बगावत के बाद नई सरकार बनने से मामला और खराब हो गया।

जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे यशवंत सिन्हा की हार का मार्जिन बढ़ता दिख रहा है। एक महीने बाद अगस्त में ही उप-राष्ट्रपति पद का भी चुनाव होने वाला है। उस चुनाव में भी विपक्ष की मात सुनिश्चित है।