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पेयजल विभाग के अभियंता ने दिया फर्जी प्रतिवेदन, मिली ये सजा

झारखंड
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रांची। पेयजल एवं स्‍वच्‍छता विभाग के सहायक अभियंता ने फर्जी प्रतिवेदन दिया था। इसके कारण विभाग को करीब 21 लाख रुपये का चूना लगा। उनके खिलाफ विभागीय जांच कराई गई। प्रतिवेदन के आलोक में अभियंता को सजा दी गई। यह मामला दुमका से जुड़ा है। उक्‍त अभियंता का नाम योगेन्द्र हेम्ब्रम है। वर्तमान में वह पेयजल एवं स्वच्छता अवर प्रमंडल, बोरियो (साहेबगंज) में पदस्‍थापित है।

पेयजल विभाग ने ब्रजेश कुमार कुशवाहा बनाम झारखंड सरकार एवं अन्य मामले की की समीक्षा की। इस क्रम में तत्कालीन भंडारपाल ब्रजेश कुमार कुशवाहा की सेवानिवृति के बाद भंडार का पदभार हस्तांतरण में अप्रत्याशित विलंब (लगभग 1 वर्ष) करने और प्रमंडलीय भंडार के प्रभार हस्तांतरण के दौरान 21,27,388 रुपये की सामग्री Short पाये जाने का मामला संज्ञान में आया।

उक्त मामले की जांच क्षेत्रीय मुख्य अभियंता (पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, दुमका प्रक्षेत्र, दुमका) की अध्यक्षता में गठित समिति से करायी गई। उनके द्वारा 27 फरवरी, 2019 को समर्पित जांच प्रतिवेदन की समीक्षा की गई। इसमें पाया गया कि दुमका अंचल के अधीक्षण अभियंता ने 26 नवंबर, 2015 को तत्कालीन प्रभारी सहायक अभियंता (पेयजल एवं स्वच्छता अवर प्रमंडल सं- 02, दुमका) योगेन्द्र हेम्ब्रम को साहेबगंज प्रमंडल के प्रमंडलीय भंडार का भौतिक सत्यापन करने के लिए निर्देशित किया था। हालांकि उन्‍होंने बिना भौतिक निरीक्षण किये प्रमंडलीय भंडार का भौतिक सत्यापन प्रतिवेदन दे दिया।

फर्जी सत्यापन के कारण स्टोर के संचालन में हो रही अनियमितता का ज्ञान कार्यालय को नहीं हुआ। कालांतर में 21,27,388 रुपये के राजस्व की क्षति विभाग को हुई। इसके लिए हेम्ब्रम को जिम्मेवार पाते हुए उनके विरूद्ध प्रथम दृष्टया आरोप प्रमाणित प्रतिवेदित पाया गया। फिर उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही संचालित की गयी।

विभागीय जांच संचालन पदाधिकारी ने 22 सितंबर, 2021 को जांच प्रतिवेदन विभाग को उपलब्ध कराया। इसमें हेम्ब्रम के विरुद्ध गठित आरोप आंशिक प्रमाणित प्रतिवेदित किया है। उक्त आंशिक प्रमाणित पाये गए आरोपों के लिए हेम्ब्रम से कारण पृच्छा की गई। हेम्‍ब्रम ने जवाब विभाग को उपलब्ध कराया।

फिर, जांच संचालन पदाधिकारी के प्रतिवेदन और हेम्ब्रम द्वारा समर्पित जवाब के तत्‍थ्‍यों की समीक्षा सक्षम प्राधिकार द्वारा की गई। हेम्ब्रम का जवाब असंतोषप्रद पाते हुए उनके विरुद्ध विभागीय निर्देशों की अवहेलना कर्तव्य पालन में लापरवाही, विभाग को भ्रामक/झूठा प्रतिवेदन देने एवं पदीय दायित्वों के विपरीत आचरण करने का आरोप प्रमाणित पाते हुए उनके विरुद्ध एक वेतन वृद्धि संचयात्मक रूप से अवरुद्ध करने का दंड दिया गया।