रांची। बीएयू के सामुदायिक विज्ञान विभाग में प्रशिक्षणरत महिलाओं ने बुधवार को कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण व मूल्यवर्धन प्रौद्योगिकी के बारे में जाना। इन्हें विवि के कृषि अभियंत्रण विभाग अधीन कार्यरत एग्रो प्रोसेसिंग केंद्र में दाल और मसाला फसलों के प्रसंस्करण व मूल्यवर्धन की व्यावहारिक तकनीकों की जानकारी दी गयी।
विभाग के प्राध्यापक डॉ इरफान अंसारी ने हेमर ग्राइंडर की मदद से हल्दी, जीरा, गोलमिर्च, लालमिर्च एवं अदरख का पाउडर बनाने तथा गेहूं, रागी, मक्का आदि के आटा बनाने की व्यावहारिक जानकारी दी। उन्होंने पिसाई में 12 प्रतिशत से कम नमी नहीं रखने, अच्छी तरह सुखे एवं बढ़िया दाने का उपयोग करने की सलाह दी। साथ ही उत्पादों के पैकिंग में बरती जानेवाली सावधानी एवं निर्देश से अवगत कराया।
विभाग की सहायक प्राध्यापक ई बंदना चौबे ने अरहर, मसूर एवं चना दाल के प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन की व्यावहारिक तकनीकों को बताया। उन्होंने कहा कि इसी तरह अन्य दालों के मूल्यवर्धन से ग्रामीण महिलाएं स्वरोजगार को अपनाकर बेहतर आय प्राप्त कर सकती है।
सामुदायिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ रेखा सिन्हा ने प्रतिभागियों को सोयाबीन के प्रसंस्करण से दूध एवं पनीर (टोफु) बनाने की जानकारी दी। बताया कि आधुनिक कृषि प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी के संवर्धन और उसे अपनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक संख्या में कृषि उद्योगों की स्थापना करना समय की मांग है।
महिला प्रशिक्षाणार्थियों ने विभिन्न फसलों के विशेष संदर्भ में प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी पर आयोजित प्रायोगिक प्रशिक्षण को बेहद उपयोगी बताया। ग्रामीण महिलाओं के स्वरोजगार सृजन तथा व्यवसाय प्रबंधन के लिए बेहद लाभकारी बताया।
प्रशिक्षण में कांके प्रखंड के एकम्बा गांव और ओरमांझी प्रखंड के गेतलसूद गांव की 20 महिला किसान भाग ले रही है। इस 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन बीएयू-सामुदायिक विज्ञान विभाग, रांची एवं आईसीएआर-भारतीय कृषि जैव प्रोद्योगिकी संस्थान, गढ़खटंगा, रांची के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। प्रशिक्षण का समापन शुक्रवार को होगा।