सीसीएल की खुली खदान में सुरक्षा नियमों की अवहेलना कर हो रहा कोयला उत्पादन

झारखंड मुख्य समाचार
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  • एक करोड़ की लागत से लगाई गई ग्रीन कॉटन बॉल 3 माह भी नहीं टिक पाई

प्रशांत अंबष्‍ठ

बोकारो। सीसीएल की बेरमो स्थित बीएंडके क्षेत्र की कारो खुली खदान में सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर कोयला उत्पादन किया जा रहा है। यहां हाईवाल के नीचे असुरक्षित ढंग से कामगारों से काम लिया जा रहा है। इससे कभी भी दुर्घटना घट सकती है। यूनियन नेताओं के मामले से अवगत कराने के बावजूद प्रबंधन कोई कदम नहीं उठा रहा।

जानकारी के मुताबिक खदान में पानी भरा हुआ है। उसी के समीप ब्लास्टिंग की जा रही है। लोडर और पीसी मशीन द्वारा कोयले की कटाई की जा रही है। क्षेत्रीय प्रबंधन द्वारा परियोजना क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए एक करोड़ की लागत से ग्रीन कॉटन बॉल लगाई गई थी। जो 3 माह भी नहीं टिक पाई।

हरिपाठ के परदे से बनाई गई दीवार पहले कोल माइल से उड़ती धूल को नहीं रोक सकी। इसमें लगाए गए परदे वहीं गिर गए, कहीं फट गए, तो कहीं उड़ गए। लगभग 10 से 12 फीट ऊंची हरे रंग की टाट की दीवार कारो परियोजना सहित कारो बस्ती से करगली गेट स्थित पीओ व करगली वाशरी, कार्यालय रीजनल अस्पताल करगली आदि में लगाई गई थी।

खदान में ब्लास्टिंग एवं ट्रांसपोर्टिंग के क्रम में उड़ती धूल से आसपास के क्षेत्रों के लोगों को परेशानी होती है। इससे बचाव के लिए करोड़ों की लागत से ग्रीन कॉटेज वॉल की मंजूरी सीसीएल मुख्यालय के पर्यावरण विभाग की ओर से दी गई थी।

कोडरमा जोन डीजीएस के डीएमएस एके नायडू ने कहा कि खदान को सुरक्षित ढंग से संचालित करनी है। असुरक्षित ढंग से खदान संचालित होने की लिखित शिकायत मिलने पर विधि संबद्ध कार्रवाई की जाएगी।