रांची। झारखंड के मशहूर आदिवासी संताली गायक सिमल टुडू आज गुमनामी की जिंदगी जीने को विवश हैं। गरीबी के कारण वह दैनिक मजदूरी कर अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं। 90 के दशक से लड़का एवं लड़की के सुर में गाकर अपनी अलग पहचान बनाने वाले सिमल टुडू के पास आज कोई काम नहीं है।
बॉलीवुड के फिल्म निर्माता, निर्देशक एवं पटकथा लेखक डॉ इकबाल दुर्रानी से मुलाकात के बाद उनकी आस जगी है। आदिवासी संताली गायक सिमल टुडू मुसाबनी सेंट हॉल में अपनी मां एवं बेटे के साथ रहते हैं। समय-समय पर मजदूरी करते हैं। आदिवासी संताली गानों के शुरूआती दौर में सिमल टुडू का एगो चांपा बाहा, बुरू धारे रेम बाहा आकान सोतेम आदोड़ा, रापुड़ एन तिज्ञां चुड़ी ओड़ेज एन साड़ी…गाना काफी मशहूर था। वह सैकड़ों गाने गा चुके हैं। उन्होंने ऑस्र्केट्रा टीम भी बनाई थी, लेकिन उनके साथियों ने उन्हें धोखा दे दिया। एक समय ऐसा भी आया कि यह अफवाह फैलायी गई कि सिमल टुडू अब नहीं रहे। उनकी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव आए।
वर्ष 2018 तक वे गीत-संगीत से जुड़े रहे। अब घर पर रहते हैं। उनके पास अब इस क्षेत्र में कोई अवसर नहीं है। पिछले दिनों उन्हें जानकारी मिली कि बॉलीवुड के फिल्म निर्माता, निर्देशक एवं पटकथा लेखक डॉ इकबाल दुर्रानी फिल्म घाटशिला बनाने जा रहे हैं। इस मुद्दे पर उन्होंने डॉ इकबाल दुर्रानी से रांची में मुलाकात की। डॉ दुर्रानी उनसे काफी प्रभावित हुए और उनकी काफी सराहना की। उन्होंने उन्हें आश्वसन दिया है कि फिल्म घाटशिला में उन्हें काम दिया जाएगा। भविष्य में उन्हें बॉलीवुड से जोड़ा जाएगा।