- वैट की दर 22 से घटाकर 17 प्रतिशत करने का आग्रह
रांची। डीजल पर वैट घटने से झारखंड का राजस्व बढ़ेगा। यह दावा झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का है। एसोसिशन ने इसका फार्मूला ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को मिलकर बताया है। डीजल पर वैट घटाने की मांग की। इस संबंध में मंत्री को ज्ञापन सौंपा है।
सदस्यों ने कहा कि पूर्व में भी इस विषय से संबंधित द्विपक्षीय वार्ता और बैठक के अतिरिक्त विभिन्न विभाग प्रमुखों के साथ कई चक्र का पत्राचार हो चुका है। यह मुद्दा राज्यहित, यहां के जनमानस और पेट्रोलियम सेक्टर के लिए लाभकारी है।
सदस्यों ने कहा कि झारखंड में प्रतिमाह डीजल की औसतन बिक्री 1 लाख 35 हजार किलो लीटर है। वर्तमान में राज्य में डीजल पर 22% वैट और प्रति लीटर 1 रुपये सेस प्रभावी है।
पड़ोसी राज्य में वैट कम होने की वजह से झारखंड में स्थापित उद्योगों द्वारा प्रतिमाह 30 हजार किलो लीटर डीजल का आयात सिर्फ पश्चिम बंगाल से किया जाता है। पूर्व में फार्म C के प्रावधान के कारण मात्र 2% टैक्स का भुगतान कर झारखंड के उद्यमी पड़ोसी राज्यों से रियायती दर पर डीजल का उठाव करते थे।
कालांतर में केंद्र सरकार द्वारा इस प्रावधान को खत्म कर दिए जाने से ऐसी उम्मीद जगी थी कि पड़ोसी राज्यों से डीजल का आयात बंद हो जाएगा। झारखंड में संचालित उद्योगों के मालिक अपने ही राज्य से डीजल की खरीद और खपत करेंगे। दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। परिणामस्वरूप झारखंड की कीमत पर पड़ोसी प्रांत बंगाल इसका लाभ उठाता रहा।
सदस्यों ने कहा कि इसकी मुख्य वजह पश्चिम बंगाल में लागू वैट है। वहां आज भी 17% वैट के अतिरिक्त वैट पर 20% अतिरिक्त कर है। यही कारण है कि वहां डीजल आज भी तुलनात्मक दृष्टि से काफी सस्ता है। पूरा कर भुगतान के अलावे अतिरिक्त परिवहन खर्च के बावजूद वहां डीजल की कीमत काफी कम है। यही कारण है कि झारखंड के उद्यमी बंगाल से डीजल की आयात कर खपत को प्राथिमकता दे रहे हैं।
एसोसिएशन ने सुझाव दिया कि झारखंड में वैट की दर को घटाकर बंगाल के समतुल्य किया जाय। इससे वहां से डीजल के आयात पर स्वतः विराम लग जायेगा। तमाम उद्यमी इसी झारखंड से डीजल का उठाव और खपत करेंगे। इस प्रकार झारखंड में डीजल की बिक्री में आई गिरावट की क्षतिपूर्ति संभव है। वर्तमान प्रभावी वैट और सेस के अनुसार (13 मई 2021 को) प्रति किलोलीटर आधारभूत मूल्य 69408.64 रुपये पर सरकार को 15489.90 यानी प्रति लीटर 15.49 रु का राजस्व प्राप्त होता है। वैट को घटाकर 17% के साथ सेस को लागू करने पर प्रति किलो लीटर 11969.47 यानी प्रति लीटर 11.97 रुपये राजस्व की प्राप्ति होगी।
इस तरह सरकार को वैट कम करने से 15.49-11.97 =3.52 रुपये प्रति लीटर यानी 3520 रुपये प्रति किलोलीटर का नुकसान होगा। वैट की दर कम होने से झारखंड में प्रतिमाह 30 हजार किलोलीटर डीजल की बिक्री में बढ़ोतरी सुनिश्चित है। इससे प्रतिमाह सरकार को 35.91 करोड़ के राजस्व लाभ होगा। इसके अलावे पड़ोसी राज्य बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, यूपी यहां से डीजल की आयात करेंगे। इससे डीजल की बिक्री में व्यापक उछाल और इजाफा होगा। सरकार के खजाने में भारी राजस्व का लाभ अनुमानित है।
वैट में कमी होने से यहां स्वाभाविक रूप से डीजल सस्ता होगा। बिहार, बंगाल, उड़ीसा, यूपी के साथ प्रतिस्पर्धा करने में झारखंड सक्षम होगा। ऐसे में यहां की खुदरा बिक्री भी 20 से 25 प्रतिशत बढ़ जाएगी। इससे 27 हजार किलो लीटर डीजल की बिक्री बढ़ने का अनुमान है। ऐसा होने पर सरकार को 32.32 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी।
आकलन किया जाय तो वैट की दर 17% करने पर सरकार को लगेगा कि उसे सीधे 47.52 करोड़ रुपये का नुकसान है। हालांकि तार्किक ढंग से इसका विश्लेषण करने पर डीजल की बढ़ी हुई बिक्री से सरकार को 35.92+32.32 यानी 68.23 करोड़ रुपये का सीधा लाभ है। सही मूल्यांकन करने से स्पष्ट है कि 68.23-47.52 करोड़ यानी 20.71 करोड़ का मासिक लाभ तय है। इससे स्पष्ट है कि वैट की दर 22 से घटाकर 17% करने से सरकार को कोई हानि नहीं अपितु सीधा लाभ है।
एसोसिएशन ने तथ्यों के आलोक में वैट की दर 22 से 17% करने पर विचार करने का आग्रह किया। वैट घटाने से सरकार को किसी प्रकार की क्षति नहीं, बल्कि लाभ ही होगा। इससे सभी सेक्टर लाभांवित होंगे। आम आदमी, किसान, परिवहनकर्ता के साथ पेट्रोलियम व्यवसायी भी को इसका लाभ मिलेगा। मुद्रा स्फीति में भी गिरावट आएगी। विशेष रूप से वर्तमान कोविड 19 आपदा की घड़ी में आमजन को इसका लाभ मिलेगा।