jharkhand : श‍िक्षा विभाग में बढ़ी एनजीओ की घुसपैठ, अब निरीक्षण कमेटी में भी शामिल

झारखंड
Spread the love

रांची। झारखंड के स्‍कूली शिक्षा एवं सारक्षता विभाग में गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की घुसपैठ बढ़ती जा रही है। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के नाम पर उन्‍हें विभाग में प्रवेश मिला। अब एनजीओ को अधिकारी विभागीय निरीक्षण कमेटी में भी शामिल करने लगे हैं।

झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् द्वारा जारी आदेश के मुताबिक समग्र शिक्षा की विभिन्‍न गतिविधियों और मध्‍याह्न भोजन योजना का संचालन राज्‍य में हो रहा है। इसके निरीक्षण और पर्यवेक्षण के लिए भ्रमण दल का गठन किया गया है। इसमें विभागीय पदाधिकारियों के साथ-साथ एनजीओ के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है।

शिक्षक संगठनों का कहना है कि एनजीओ का एग्रीमेंट दूसरे कार्यों के लिए सरकार से होता है। ऐसे में निरीक्षण का अधिकार दिया जाना नियमविरुद्ध और अनुचित है। जिसको विद्यालय की वस्तुस्थिति के बारे पता नहीं वे निरीक्षण कर क्‍या निर्देश दे सकते हैं।

विभाग के एग्रीमेंट के मुताबिक एक एनजीओ को राज्‍य के कुछ स्कूलों में प्रैक्टिकल और लाइब्रेरी का सामान उपलब्ध कराने की जिम्‍मेवारी दी गई है। अब अधिकारी ने उसे विभागीय निरीक्षण दल में भी शामिल कर दिया है।

अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के मुख्‍य प्रवक्‍ता नसीम अहमद इसे अनुचित करार देते हैं। उनका कहना है कि एनजीओ की दखलअंजादी नहीं होनी चाहिए। वे निरीक्षण के नाम पर सिर्फ लूट-खरोट करेंगे। अपना उल्‍लू सीधा करेंगे, ना कि‍ शिक्षा की गुणवत्ता को ध्‍यान में रखेंगे।

मुख्‍य प्रवक्‍ता ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शिक्षकों से कभी पूछा नहीं जाता है। यह होना चाहिए। मुद्दा पर चर्चा कर विभाग को उसपर फोकस करना। सरकार शिक्षा में सुधार करना चाहती है, पर संसाधान नहीं दे रही है। हालत यह कि राज्‍य के कई स्‍कूलों में 200 बच्‍चे को पढ़ाने के लिए मात्र एक-दो टीचर हैं।

संघ का कहना है कि राज्‍य में कई राष्‍ट्रपति व अन्‍य पुरस्‍कार विजेता शिक्षक हैं। कई रिटायर हो चुके हैं। कई स्‍कूलों शिक्षक नए आइडिया से पढ़ा रहे हैं। अनुभवी शिक्षकों की लंबी सूची है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए इन्‍हीं से बातचीत की जा सकती है।

ट्रेनिंग भी एनजीओ की जगह ऐसे शिक्षकों से ही दिलाई जानी चाहिए। ये शिक्षक खुद बच्‍चों के बीच में रहकर उन्‍हें पढ़ा रहे हैं। ऐसे में अन्‍य शिक्षक इसे व्‍यवहारिक रूप में आत्‍मसात कर सकेंगे। इसका बेहतर लाभ भी बच्‍चों को मिलेगा।

शिक्षकों का कहना है कि विभाग में एनजीओ की अधिक भागीदारी से उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है। उनके इशारे पर रोज नया-नया फरमान जारी किया जा रहा है। बच्‍चों को पढ़ाने की जगह फरमान का पालन करने में अधिक वक्‍त लग जा रहा है।