BAU : जनजातीय किसानों ने सीखी सूकरपालन की उन्‍नत तकनीक

झारखंड कृषि
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  • सूकरपालन प्रौद्योगिकी पर दो प्रशिक्षण कार्यक्रमों का समापन

रांची। बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय (BAU), रांची के निदेशालय अनुसंधान द्वारा संचालित आईसीएआर-अखिल भारतीय समन्वित सूकर बीज अनुसंधान परियोजना अधीन जनजातीय उपपरियोजना के तहत ‘सूकरपालन की उन्नत प्रौद्योगिकी’ विषयक तीन दिवसीय दो प्रशिक्षण कार्यक्रमों का समापन बुधवार को हुआ। दो बैच में आयोजित इस कार्यक्रम में नामकुम प्रखंड के अनगड़ा, सिघोरी, हपदलेरा, कोयनरडीह, बरवाडारा गांवों के 30 महिला एवं 20 पुरुष सहित 50 जनजातीय किसानों ने भाग लिया।

मुख्य अतिथि निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह ने प्रशिक्षण में मिली जानकारियों को जाना। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किये। डॉ सिंह ने कहा कि सुकरपालन में आवास, आहार, स्वास्थ्य एवं रोगों के वैज्ञानिक प्रबंधन से बढ़िया लाभ ले। वर्षों शोध उपरांत विकसित संकर नस्ल ‘झारसुक’ राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में लोक प्रिय हो रही है। इस नस्ल के सुकरपालन से स्थानीय जनजातीय लोग अच्छी आय का सृजन कर सकते है।

मौके पर डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने सुकरपालन को झारखंड के ग्रामीण परिवेश में विशेषकर जनजातीय लोगों के लिए आजीविका एवं पोषण सुरक्षा का उत्तम साधन बताया। उन्होंने कृषि सबंधी समस्या होने पर बिरसा किसान डायरी से जानकारी लेने और वैज्ञानिकों से निरंतर संपर्क बनाये रखने की बात कही।  

स्वागत एवं संचालन के दौरान परियोजना अन्वेंषक डॉ रविन्द्र कुमार ने बताया कि तीन दिवसीय दो प्रशिक्षण कार्यक्रमों में प्रतिभागियों को सुकरपालन का महत्‍व, सूकर नस्लें, उनकी विशेषताएं, आवास, आहार, प्रमुख रोग की पहचान, एवं बीमारयों से बचाव व निदान, टीकाकरण, मांस उत्पादन, मार्केटिंग, सूकर फार्म से आय-व्यय का ब्यौरा की विस्तृत जानकारी दी। प्रायोगिक सूकर फार्म का भ्रमण कराया गया।

धन्यवाद डॉ एके पांडे ने दिया। मौके पर डॉ मुकेश कुमार, डॉ निशांत पटेल, डॉ तेजवार इज़हार, अमित बैठा, महादेव टोप्पो और जितेन्द्र बैठा भी मौजूद थे।