पटना। बड़ी खबर बिहार से आयी है. दागी अफसरों पर नीतीश सरकार का डंडा चला है. डिप्टी कमिश्नर से लेकर डॉक्टरों तक सेवा से बर्खास्त किए गए हैं.
दरअसल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में कई दागी अफसरों पर गाज गिरी है. सीएम ने कई अधिकारियों को अलग-अलग मामलों में दागी पाए जाने के बाद अब सेवा से ही बर्खास्त करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
इस सूची में डॉक्टर, कर उपायुक्त आदि भी शामिल हैं. जबकि एक अधिकारी जो सरकारी कार्यक्रम में शराब पीकर गैर महिला संग कमरे में धराए थे, उनकी भी सेवा समाप्त की गयी है.
बिहार सरकार अस्पताल में डॉक्टरों की उपस्थिति को लेकर बेहद गंभीर दिख रही है. स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव लगातार इसे लेकर बैठक करते रहे हैं. वहीं अब दो डॉक्टरों को सेवा से बर्खास्त करने वाले प्रस्ताव को नीतीश कुमार की कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी है.
औरंगाबाद सदर अस्पताल के डॉक्टर मृत्युंजय कुमार और हसपुरा रेफरल अस्पताल के डॉक्टर वीरेंद्र कुमार को अनुपस्थित रहने के आरोप में बर्खास्त किया गया है.
पटना प्रमंडल के तत्कालीन क्षेत्रीय अपर निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ. जनार्दन प्रसाद को भी बर्खास्त कर दिया गया है. जनार्दन प्रसाद पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समाज सुधार अभियान को लेकर कोविड प्रोटोकॉल की तैयारियों का जायजा लेने जनार्दन प्रसाद सासाराम गये थे. प्रवास के दौरान वो जिस होटल में ठहरे थे, वहां शराब पार्टी हुई.
पुलिस ने कमरे से कई अन्य लोगों को भी पकड़ा था. डॉ. जनार्दन प्रसाद ने इस दौरान पुलिस को जांच में सहयोग नहीं किया और कमरे से बाहर चले गये थे. बाद में विभाग के संयुक्त सचिव के आदेश पर उन्हें निलंबित किया गया था.
यहां बता दें कि कैबिनेट बैठक में तत्कालीन कर उपायुक्त खगड़िया अंचल शशिकांत चतुर्वेदी को भी बर्खास्त करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी मिली है. शशिकांत चतुर्वेदी को रिश्वत लेने के आरोप में निलंबित किया गया था और अब उनकी सेवा समाप्त की गयी है.
सेल्स टैक्स के डिप्टी कमिश्नर को घूस लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था. ऑटो एजेंसी के मालिक की शिकायत पर जाल बिछाया गया था. टैक्स में छूट की बात कहकर वो रिश्वत लेते थे.