बजट शब्‍दावली : आसान भाषा में समझिये बजट में अक्सर इस्‍तेमाल होने वाले शब्‍दों का मतलब

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वार्षिक वित्तीय विवरण Annual Financial Statement :

वार्षिक वित्तीय विवरण बजट में सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है. संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत, सरकार को राजकोष के लिए अनुमानित राजस्व और व्यय का एक विवरण पेश करना होता है. इस विवरण को ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ कहा जाता है. यह दस्तावेज तीन भाग में विभाजित होता है- समेकित निधि, आकस्मिक निधि और सार्वजनिक खाता.

बजट लेखा-जोखा Budget Estimates :

वित्त वर्ष के दौरान सरकार द्वारा विभिन्न करों से प्राप्त राजस्व और खर्च के आकलन को बजट लेखा-जोखा कहा जाता है.

संशोधित लेखा-जोखा Revised Estimates :

बजट में किए गए आकलनों और मौजूदा आर्थिक परिस्थिति के मद्देनजर इनके वास्तविक आंकड़ों के बीच का अंतर संशोधित लेखा-जोखा कहलाता है. इसका जिक्र आने वाले बजट में किया जाता है.

वित्तीय घाटा Fiscal Deficit :

सरकार को प्राप्त कुल राजस्व और कुल व्यय के बीच का अंतर वित्तीय घाटा कहलाता है. इसे राजकोषीय घाटा भी कहते हैं.

राजस्व प्राप्ति Revenue Gain :

सरकार द्वारा वसूले गए सभी प्रकार के कर और शुल्क, निवेशों पर प्राप्त ब्याज और लाभांश तथा विभिन्न सेवाओं के बदले प्राप्त रकम को राजस्व प्राप्ति कहा जाता है.

राजस्व व्यय Revenue Expenditure:

विभिन्न सरकारी विभागों और सेवाओं पर खर्च, ऋण पर ब्याज की अदायगी और सब्सिडी पर होने वाले व्यय को राजस्व व्यय कहते हैं.

वित्त विधेयक Finance Bill :

नए कर लगाने, कर प्रस्तावों में परिवर्तन या मौजूदा कर ढांचे को जारी रखने के लिए संसद में प्रस्तुत विधेयक को वित्त विधेयक कहते हैं. इसे संविधान के अनुच्छेद 110 के अंतर्गत पेश किया जाता है.

विनियोग विधेयक Appropriation Bill :

सरकार द्वारा संचित निधि से रकम निकासी को मंजूरी दिलाने के लिए संसद में प्रस्तुत विधेयक विनियोग विधेयक कहलाता है.

राष्ट्रीय ऋण Government Debt :

केंद्र सरकार के राजकोष में शामिल कुल ऋण को राष्ट्रीय ऋण कहते हैं. वित्तीय बजट घाटों को पूरा करने के लिए सरकार यह ऋण लेती है.

संचित निधि Consolidated Fund :

सरकार को प्राप्त सभी राजस्व, बाजार से लिए गए ऋण और स्वीकृत ऋणों पर प्राप्त ब्याज संचित निधि में जमा होते हैं. इसके बारे में संविधान के अनुच्छेद 266 में बताया गया है. यह भारत सरकार की सबसे बड़ी निधि है. इस कोष को भारतीय संसद के अधीन रखा गया है, कोई भी बिना संसद की अनुमति के इससे धन नहीं निकाल सकता है.

आकस्मिक निधि Contingency Fund :

इस कोष का निर्माण इसलिए किया जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर आकस्मिक खर्चों के लिए संसद की स्वीकृति के बिना भी राशि निकाली जा सके. ये निधि सरकार को अप्रत्याशित व्यय को पूरा करने में मदद करती है.

पूंजीगत प्राप्ति Capital Gain :

इसमें सरकार द्वारा बाजार से लिए गए ऋण, भारतीय रिजर्व बैंक से ली गई उधारी और विनिवेश के जरिये प्राप्त आमदनी को शामिल किया जाता है.

पूंजीगत व्यय Capital Expenditure :

सरकार द्वारा अधिग्रहीत विभिन्न संपत्तियों पर हुए खर्च को पूंजीगत व्यय की श्रेणी में रखा जाता है.

सरकारी व्यय Public Expenditure :

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि यह सरकारी योजनाओं पर होने वाला खर्च होता है. सरकारी व्यय को दो हिस्सों में बांटा जाता है,

योजनागत व्यय और गैर योजनागत व्ययः

योजनागत व्यय में वे सभी व्यय आते हैं, जो विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर किया जाता है. इसका एस्टिमेट विभिन्न मंत्रालयों और योजना आयोग द्वारा मिल कर बनाया जाता है. गैर योजनागत व्यय के दो हिस्से होते हैं- गैर योजनागत राजस्व व्यय और गैर योजनागत पूंजीगत व्यय. गैर योजनागत राजस्व व्यय में ब्याज की अदायगी, सब्सिडी, सरकारी कर्मचारियों को वेतन की अदायगी, राज्य सरकारों को अनुदान, विदेशी सरकारों को दिए जाने वाले अनुदान आदि शामिल होते हैं. वहीं गैर योजनागत पूंजीगत व्यय में रक्षा, पब्लिक इंटरप्राइजेज को दिया जाने वाला कर्ज, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और विदेशी सरकारों को दिया जाने वाला कर्ज आदि शामिल होता है.

सार्वजनिक खाता Public Account :

पब्लिक अकाउंट का गठन भारत के संविधान के अनुच्छेद 266 (1) के प्रावधानों के तहत किया जाता है, जो कि उन सभी फंडों के संबंध में है, जहां सरकार बैंकर के रूप में काम कर रही है. हालांकि सरकार का इस धन पर कोई अधिकार नहीं है क्योंकि उसे जमाकर्ताओं को वापस करना है. इस निधि से होने वाले व्यय को संसद द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है.

वित्त वर्ष Financial Year :

वित्तीय मामलों के हिसाब किताब के लिए एक आधार वर्ष होता है, इसे वित्त वर्ष यानी अंग्रेजी में फाइनेंसियल ईयर कहते हैं. भारत में वित्त वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है.

कर निर्धारण वर्ष Assessment Year :

कर निर्धारण वर्ष किसी वित्तीय वर्ष का अगला वर्ष होता है. जैसे 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 अगर वित्तीय वर्ष है तो कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक होगा.

सकल घरेलू उत्पाद Gross Domestic Product :

एक समयावधि में देश की सीमाओं के भीतर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है. यह किसी देश की अर्थव्यवस्था को मापने का सबसे अच्छा और स्वीकृत तरीका है. इसमें कृषि, उद्योग और सेवा तीन क्षेत्र शामिल होते हैं.

सकल राष्ट्रीय उत्पाद Gross National Product :

एक वर्ष के दौरान देश में तैयार सभी उत्पादों और सेवाओं के सम्मिलित बाजार मूल्य तथा स्थानीय नागरिकों द्वारा विदेशों में किए गए निवेश के जोड़ को विदेशी नागिरकों द्वारा देश में अर्जित लाभ में घटाने से प्राप्त रकम को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है.

कटौती प्रस्ताव या कट मोशन Cut Motion :

आमतौर पर कट मोशन का इस्तेमाल विपक्ष के द्वारा किया जाता है. सरकार संसद के सामने अनुदान मांगों को मंजूरी के लिए सदन में पेश करती है. वहीं विपक्ष के जरिए विभिन्न मांगों में कटौती के लिए मांग की जाती है.