विकास में होने वाली बाधाओं को दूर करने का संकल्प लें युवा: अरिमर्दन

झारखंड
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रांची। आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान ऑइकॉनिक वीक के तहत आयोजित किए जा रहे समारोहों के क्रम में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पीआईबी-आरओबी रांची और एफओबी डालटनगंज के संयुक्त तत्वावधान में स्वतंत्रता संग्राम: झारखंड के प्रमुख आंदोलन विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया।

वेबिनार के दौरान अध्यक्षीय संबोधन देते हुए पीआईबी-आरओबी के अपर महानिदेशक अरिमर्दन सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने बिना इसकी चिंता किये कि आजादी मिलेगी या नहीं, नि: स्वार्थ भाव से देश आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। आजादी का अमृत महोत्सव उन गुमनाम नायकों को याद करने का दिन है, जिनके प्रयास इतिहास में तो दर्ज नहीं हैं, लेकिन स्वाधीनता आंदोलन में उनका योगदान महत्वपूर्ण है। युवा पीढ़ी को सेनानियों की जीवनी से यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि हमारे प्रदेश, जिले, क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों ने वीरता के साथ अपनी शहादत देकर स्वतंत्रता दिलाई। युवाओं को अपने पूर्वजों की शहादत से सीख लेकर विकास में होने वाली बाधाओं को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए। इससे पूर्व डालटनगंज के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी गौरव कुमार पुष्कर ने आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 75 दुर्लभ तस्वीरों की ऑनलाइन प्रदर्शनी की। इसमें गांधी दर्शन, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, पंडित जवाहरलाल नेहरू समेत कई ऐतिहासिक तथ्यों का वर्णन किया गया था।

श्री पुष्कर ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव का लक्ष्य आने वाले 25 सालों में भारत को दुनिया में अव्वल रखना और स्वाधीनता आंदोलन के गुमनाम नायकों को उचित स्थान देना है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, पलामू प्रमंडल के उप निदेशक आनंद कुमार ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन दो तरीकों से किया जा रहा था। एक बलिदानी बनकर लोग लड़ाई लड़ रहे थे, वहीं दूसरे तरीके में राजनीतिक वार्ता शामिल थी। पलामू के आंदोलन में भी दोनों तरीके शामिल थे।

आजादी से पहले यहां पुस्तकालय की स्थापना होना इस बात का परिचायक है कि यहां के लोग बौद्धिक रूप से काफी जागरूक होंगे और बौद्धिक चेतना के जरिए भी लड़ाई लड़ी जा रही होगी। उन्होंने टाना भगतों के योगदान की भी जानकारी दी। श्री आनंद ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के गुमनाम नायकों के बारे में कोई भी जानकारी साझा करें, ताकि उन्हें इतिहास के पन्नों में अंकित किया जा सके। वेबिनार को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रभात मिश्रा सुमन ने कहा कि पलामू 100 से ज्यादा स्वतंत्रता सेनानियों की भूमि है। यहां के दो सदस्य संविधान सभा के सदस्य भी रहे हैं। श्री सुमन ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर 29 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में लिखा है। उन्होंने वर्ष 1942 के आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय पलामू के पांच सगे भाई जेल गए थे।

उन्होंने पलामू के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों यदुवंश सहाय, उमेश्वरी चरण, कृष्ण नंदन सहाय, नंदकिशोर प्रसाद वर्मा, नीलकंठ सहाय की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस सेनानियों ने पलामू की धरती को गौरवान्वित किया है। श्री सुमन ने युवाओं से कहा कि वे पलामू के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों से मिलें और उनके संघर्षों के बारे में जानने का प्रयास करें। पलामू के वरिष्ठ पत्रकार सतीश सुमन ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि पलामू वीरों की धरती रही है। यहां के लोगों को पराधीनता स्वीकार नहीं थी। स्वाधीनता के लिए लगातार इस जमीन से आंदोलन होते रहे हैं। 1857 के पहले स्वाधीनता आंदोलन और संताल-कोल विद्रोह में भी पलामू बड़ा केंद्र था। गढ़वा जिले का रंका प्रखंड भी स्वतंत्रता की लड़ाई का गवाह रहा है।

कोलकाता के अधिवेशन में शामिल होने के लिए पलामू के कई लोग पैदल यात्रा कर यहां से कोलकाता चले गए, ताकि आंदोलन को गति दी जा सके। वर्ष 1917 से पलामू में ऐतिहासिक मारवाड़ी पुस्तकालय संचालित है। इस पुस्तकालय में महात्मा गांधी भी आए थे और उन्होंने इसकी उन्नति की कामना की थी। अमृत महोत्सव के इस मौके पर हम अपनी आजादी को अक्षुण्य कैसे बनाए रख सकते हैं और आने वाले 25 साल में भव्य भारत का सपना जो स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था, उसे हर हाल में हमें पूरा करने का संकल्प लेना होगा। वेबिनार का समन्वय और संचालन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी, डालटनगंज गौरव कुमार पुष्कर ने किया। वेबिनार का यू-ट्यूब पर भी लाइव प्रसारण किया गया। इसमें विशेषज्ञों के अलावा नेहरू युवा केंद्र झारखंड, राष्ट्रीय सेवा योजना, पलामू के स्वयंसेवकों के साथ-साथ छात्र, पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारी-कर्मचारियों तथा दूसरे राज्यों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया।