- प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ 26 जुलाई से तीसरे चरण का आंदोलन
रांची। झारखंड अभिभावक संघ ने तीसरे चरण में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की है। हर तरह की फीस वसूली के खिलाफ # हमारी भी सुनो हेमंत सरकार, निजी स्कूल दे रहे हैं दुख अपार# चलाएगा। कार्यक्रम अनुसार 26 जुलाई को हस्ताक्षर अभियान, 27 जुलाई को मौन धरना, 28 जुलाई को उपवास और 29 जुलाई को हेमंत सरकार को सद्बुद्धि दे भगवान के तहत हवन किया जाएगा।
संघ की 25 जुलाई को जूम एप के माध्यम से हुई बैठक होने के बाद संघ के अध्यक्ष अजय राय ने आंदोलन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि क्या इस राज्य में कोई जिम्मेदार नीतिनिर्धारक, शिक्षाधिकारी, शासन, प्रशासन स्पष्ट कर सकता है कि पिछले 16 महीने से स्कूल बंद है तो फिर किस आधार पर अभिभावक स्कूलों की फीस दे? क्या अभिभावको ने सरकार अथवा निजी स्कूलों से कोई कर्जा अथवा लोन लिया है, जिसकी बिना सर्विस लिये क़िस्त देनी ही होगी। बावजूद अभिभावक ट्यूशन फीस देने के लिए तैयार हैं।
राय ने कहा कि जिस राज्य मे 77 ℅ बच्चों के पास ऑनलाइन क्लास लेने के लिए संसाधन मौजूद नहीं है। जो सरकार और निजी स्कूल बच्चों को मोबाइल/लेपटॉप और टीवी स्क्रीन से दूर रहने के लिए संदेश देती थी, आज उसी ने हमारे बच्चों के स्वास्थ्य को ताक पर रखकर ऑनलाइन क्लास से पढ़ाई करने के लिए मजबूर कर दिया है।
आज की बैठक में कैप्टन प्रदीप मोहन सहायश् महेंद्र राय, दीपक शर्मा, संजय सर्राफ, लाल ओंकार नाथ शाहदेव, रामदीन कुमार, देवआनंद राय, मनोज कुमार, आकाश राज, प्रियरंजन, अनिकेत प्रसाद, अंश तिवारी, आशा सिंह, दिव्या सिंह, गौरव कुमार, विकास सिन्हा, जिनोफर अख्तर, महावीर सिंह, मनीष कुमार, राजू सोनी, राकेश कुमार, रानी राय, रीतलाल वर्मा, संजय घटराज, सरिता कुमारी, प्रमोद रंजन, रितिका मुंडा सहित सैकड़ों अभिभावक शामिल हुए।
संघ की मांगें
पिछले साल निकाले गए विभागीय आदेश (पत्रांक 1006, दिनांक 25/06/2020) का शत-प्रतिशत पालन सत्र 2021-22 में भी सुनिश्चित हो।
शुल्क के अभाव में छात्रों को ऑनलाइन क्लास से वंचित नहीं किया जाए।
संबद्धता प्राप्त निजी विद्यालयों की मनमर्जी पर नकेल कसा जाए। विद्यालय स्तरीय पारदर्शी शिक्षण शुल्क समिति का गठन सुनिश्चित हो।
झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 को राज्य के सभी जिले में पूर्णतया पारदर्शी तरीके से लागू किया जाय। शिक्षण के अनुपात में ही शिक्षण शुल्क का निर्धारण करने, एक्ट के तहत पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन का गठन हर स्कूल में हो।
निजी विद्यालयों के पिछले 5 साल की ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा राज्य सरकार करें, ताकि जिस स्कूल की आर्थिक स्थिति सही है। वहां विभिन्न मदों में लिए ली जाने वाले शुल्क पर रोक लगे। जिन स्कूलों की आर्थिक हालात खराब है, उन्हें आपदा राहत कोष से आर्थिक पैकेज सरकार दे।
स्कूलों में चलने वाली बसों के टैक्स, इंश्योरेंस माफ करने को लेकर कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार प्रस्ताव पारित करे।
स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारियों का वेतन पूर्व की तरह सुनिश्चित हो।