रांची। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर झारखंड सहित देश के 10 लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी 15 और 16 मार्च को हड़ताल पर रहेंगे। केंद्र सरकार के सार्वजनिक बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण और प्रतिगामी बैंक सुधार के विरोध में देशव्यापी हड़ताल आहूत की गई है। दो दिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की सभी शाखाएं और प्रशासनिक कार्यालय बंद रहेंगे।
यूनियन के संयुक्त संयोजक एमएल सिंह ने कहा कि यह हड़ताल बैंक कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी या सेवा शर्तो के लिए नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा आम जनता की पूंजी को निजीकरण के माध्यम से कॉर्पोरेट घरानों के हाथ में बेचने की साजिश के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में बैंकों की ऑपरेटिंग प्रॉफिट लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार द्वारा इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। बैंकों को जानबूझकर उन्हीं हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है, जिनका पिछले दिनों राइट ऑफ के नाम पर ऋणों को माफ कर दिया। सरकार जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वालों को अपराधिक कृत्य घोषित नहीं कर उन्हें परोक्ष रूप से सहयोग कर रही है।
श्री सिंह ने कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद निजी क्षेत्र के लगभग 25 से ज्यादा बैंक फेल हुए। उन बैंकों में रखी जनता की पूंजी को बचाने एवं कर्मियों की सेवा सुरक्षा के लिए उनका सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से विलय किया गया। इतना ही नहीं पिछले दिनों आईसीआईसी बैंक, यस बैंक एवं पीएमसी बैंक की जर्जर हालात से सभी वाकिफ हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने देश के विकास में अहम भूमिका निभाई है। यह अपने आप में मील का पत्थर है। सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण कर सरकारी संपत्ति बेची जा रही है, इसका यूनियन विरोध करती हैं। यूनियन का मानना है कि आम जनता की पूंजी आम जनता के विकास के लिए हो, ना कि कॉर्पोरेट के लूट के लिए।