विश्वजीत कुमार रंजन
गढ़वा। एसडीएम संजय कुमार ने अपने एक घंटे के साप्ताहिक कार्यक्रम ‘कॉफी विद एसडीएम’ में पंचायती राज संस्था के प्रतिनिधियों से अनौपचारिक संवाद किया। इसमें गढ़वा सदर, डंडा, मझिआंव, मेराल आदि प्रखंडों के प्रमुख,उप प्रमुख, बीडीसी सदस्य, मुखिया आदि ने हिस्सा लिया। संवाद में पंचायत प्रतिनिधियों ने पेयजल संकट का मुद्दा उठाया।
कर्मियों के व्यवहार की शिकायत
मझिआंव प्रखंड की प्रमुख आरती दुबे ने बताया कि मझिआंव प्रखंड के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का व्यवहार जनप्रतिनिधियों के प्रति उपेक्षाजनक है। बीडीओ, सीओ और बीपीओ आदि की शैली स्वेच्छाचारी है। एसडीएम ने उन्हें आश्वस्त किया कि वे अपने स्तर से जांच कर वरीय पदाधिकारियों को सूचित करेंगे।
पेयजल संकट को लेकर चिंता
ज्यादातर जनप्रतिनिधियों ने आसन्न जल संकट को देखते हुए अपनी चिंताएं प्रकट कीं। कई प्रखंडों के प्रमुखों व पंचायत समिति सदस्यों ने कहा कि इस मामले में वे जनता के सामने सिर्फ निरीह बने रहते हैं, क्योंकि पेयजल संकट को देखते हुए भी वे जनता के लिये कुछ नहीं कर पा रहे हैं। कुछ लोगों ने अलग-अलग गांवों में नई अधिष्ठापित जल मीनारों के शुरू नहीं होने पर प्रश्न उठाया, तो कुछ लोगों ने वित्तीय अनियमितता की शिकायत की। एसडीएम ने उन सभी से ऐसी जल मीनारों की सूची लिखित में देने को कहा। साथ ही, भरोसा दिलाया कि कहीं अनियमितता हुई होगी तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जलमीनार से नहीं आता पानी
मधेया पंचायत के मुखिया बसंत चौबे ने कहा कि उनकी पंचायत के खजूरी गांव में दो जल मीनारें लगी हुई हैं। उनमें एक बूंद पानी नहीं आता। इसी प्रकार अचला पंचायत के मुखिया मुखराम भारती ने कहा कि उनकी पंचायत के डुमरो एवं नारायणपुर में पानी के लिए हाहाकार है। नारायणपुर में आठ डीप बोर करा कर व्यर्थ पड़े हुए हैं। इस पर एसडीओ ने कहा कि वे स्वयं आकर जांच करेंगे।
मुख्यालय में कर्मियों की कम उपस्थिति
मेराल प्रखंड की प्रमुख दीपमाला ने कहा कि उनके प्रखंड में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति कम रहती है। इतना ही नहीं जो लोग मुख्यालय छोड़कर जाते हैं, वे उन्हें सूचना देना भी जरूरी नहीं समझते। इस प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जाए। उन्होंने प्रखंड स्तर पर शिथिल पड़े कुछ कार्यो की जानकारी देते हुए कहा कि इनमें तेजी लाने की कार्रवाई की जाए।
मामलों के निष्पादन में तेजी लाएं
गढ़वा प्रखंड के कार्यकारी प्रमुख फैजुल अंसारी ने कहा कि गढ़वा अंचल में दाखिल खारिज, ऑनलाइन प्रविष्टि, लगान निर्धारण आदि के बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं, लोग अंचल का चक्कर काट कर परेशान है, इन कार्यों में तेजी लाई जाए। इस पर एसडीओ ने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में वे शीघ्र ही अंचल कार्यालय का निरीक्षण करेंगे।
प्रमुख नहीं बैठते हैं चेंबर में
डंडा प्रखंड के उप प्रमुख नंदू चौधरी ने कहा कि उनके प्रखंड विकास पदाधिकारी और प्रखंड प्रमुख दोनों ही प्रखंड कार्यालय नहीं आते हैं। उन्होंने बताया कि उनका कार्यकाल 3 साल हो गया है, लेकिन इन 3 सालों में पंचायत समिति की सिर्फ एक बैठक हुई है। इस विषय को एसडीओ ने काफी गंभीर बताते हुए आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिया। इसी बात की पुष्टि डंडा प्रखंड की पूर्व प्रमुख और वर्तमान में पंचायत समिति सदस्य शाइना खातून ने भी की।
इन प्रतिनिधियों ने भी रखें विचार
सोनपुरवा पंचायत के मुखिया अख्तर खान, मेराल पूर्वी के मुखिया रामसागर महतो, संगबरिया पंचायत के मुखिया संजय राम, परिहारा पंचायत के मुखिया रविंद्र राम, ओबरा पंचायत की मुखिया कौशल्या देवी, बोदरा पंचायत के मुखिया इंद्र कुमार सिंह, छतरपुर पंचायत के बीडीसी मोहम्मद उस्मान अंसारी, बोदरा पंचायत के बीडीसी नूर आलम, रामपुर पंचायत की बीडीसी गुलाब देवी, मेराल के बीडीसी जगदीश राम, करमडीह की बीडीसी समरून खातून, तलसबरिया की बीडीसी शाइस्ता खातून, मोरबे की बीडीसी संध्या देवी, अचला की बीडीसी बिंदु देवी आदि ने भी आवास, शिक्षा, आंगनवाड़ी, राशन आदि को लेकर विस्तार से मुद्दे रखे।
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