नई दिल्ली। पटना में विपक्षी दलों की बैठक 23 जून को होनी है। इसमे भाग लेने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पटना पहुंच गर्ई है। इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने बैठक को लेकर विपक्षी दलों पर तंज कसा है। विपक्षी दलों की इस एकता को ‘दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिए’ करार दिया है।
मायावती ने कहा कि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, अशिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक उन्माद, हिंसा आदि से ग्रस्त देश में बहुजन के त्रस्त हालात से स्पष्ट है कि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को सही से लागू करने की क्षमता कांग्रेस, बीजेपी जैसी पार्टियों के पास नहीं है। लोकसभा आम चुनाव के पूर्व विपक्षी पार्टियां जिन मुद्दों को मिलकर उठा रही हैं, ऐसे में नीतीश कुमार द्वारा 23 जून की विपक्षी नेताओं की पटना बैठक ‘दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिए’ की कहावत को ज्यादा चरितार्थ करता है।
बसपा प्रमुख ने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी को ध्यान में रखकर इस प्रकार के प्रयास से पहले अगर ये पार्टियां जनता में उनके प्रति आम विश्वास जगाने की गरज से अपने गिरेबान में झांककर अपनी नीयत को थोड़ा पाक-साफ कर लेती तो बेहतर होता। ‘मुंह में राम बग़ल में छुरी’ आखिर कब तक चलेगा?
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीट चुनावी सफलता की कुंजी कहलाती है। हालांकि विपक्षी पार्टियों के रवैये से ऐसा नहीं लगता है कि वे यहां अपने उद्देश्य के प्रति गंभीर व सही मायने में चिंतित हैं। बिना सही प्राथमिकताओं के साथ यहां लोकसभा चुनाव की तैयारी क्या वाकई जरूरी बदलाव ला पाएगी?