- पशुपालन निदेशालय में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन पर एक दिनी कार्यशाला
- कम खर्च-ज्यादा उत्पादन-अधिक मुनाफा का दूसरा नाम प्राकृतिक खेती : मंत्री
रांची। कम खर्च-ज्यादा उत्पादन-अधिक मुनाफा का दूसरा नाम है प्राकृतिक खेती है। प्राकृतिक खेती किसानों को समृद्ध बनाने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बनाए रखता है। झारखंड में 4 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो समय के साथ बढ़ता चला जाएगा। उक्त बातें राज्य की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने 22 नवंबर को कही। वे रांची के पशुपालन निदेशालय सभागार में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं।
कार्यशाला में राज्य के 12 जिलों के 88 कलस्टर से आए कृषि सखी और किसान शामिल हुए। इस मौके पर किसानों ने प्राकृतिक खेती से संबंधित अपने अनुभव को मंत्री के समक्ष रखा। मंत्री ने कहा कि किसानों को जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के अंतर को समझते हुए कदम बढ़ाना है। किसान खुद ही प्राकृतिक खेती के ब्रांड एंबेसडर हो सकते है।
मंत्री ने कहा कि समय के साथ मौसम के दुष्प्रभाव के नजरिए से भी प्राकृतिक खेती किसानों के लिए लाभप्रद है। भारी बारिश और तूफान जैसे हालात में भी प्राकृतिक खेती से तैयार फसल की बर्बादी रासायनिक खेती की तुलना में बहुत कम है। आज हकीकत ये है कि रासायनिक खेती से तैयार उत्पाद के सेवन से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हम जाने अनजाने भोजन के तौर पर जहर ग्रहण कर रहें है। अगर इसे रोकना है तो प्राकृतिक खेती को एक आंदोलन के रूप में अपनाना होगा।
मंत्री ने ओफ़ाज के अधिकारियों को प्राकृतिक खेती की निगरानी करने का निर्देश दिया है। मंत्री ने अधिकारियों को प्राकृतिक खेती से संबंधित सालाना रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। प्राकृतिक खेती का आकलन के आधार पर ही सरकार भविष्य की कार्य योजना को तैयार करेगी। एक साल में प्राकृतिक खेती में सबसे बेहतर काम करने वाले कलस्टर को 1 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा।
कार्यशाला में आंध्र प्रदेश के पूर्व आईएएस सह प्राकृतिक खेती के विशेषज्ञ टी विजय कुमार ने कहा कि प्राकृतिक खेती आधुनिक साइंस है। अगले 10 साल के अंदर 80 लाख परिवारों को इससे जोड़ने पर वो काम कर रहें है। प्राकृतिक खेती में पानी जमीन के अंदर तक आसानी से जाता है। प्राकृतिक खेती से किसान आसानी से 15 से 25 हजार रुपए प्रति माह कमाई कर सकते है।
कार्यशाला में विशेष सचिव प्रदीप हजारी, उद्यान निदेशक माधवी मिश्रा, समेति निदेशक विकास कुमार, अमित कुमार सिंह, उपनिदेशक शशि भूषण अग्रवाल सहित अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद थे।
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