आनंद कुमार सोनी
लोहरदगा। आदिवासी सहयोग समिति ने फौज से रिटायर होकर आए जीत सहाय भगत और उनकी पत्नी का लोहरदगा के विभिन्न स्थानों में स्वागत किया। स्वागत कार्यक्रम की अगुवाई आदिवासी आयोग समिति मुरकी, आदिवासी सहयोग समिति बोंगा और आदिवासी सहयोग समिति ओयना करम टोली की टीमों ने किया।
सम्मानित करने वालों में आदिवासी सहयोग समिति के उपाध्यक्ष राकेश भगत, गृह सचिव जितेंद्र उरांव, लोहरदगा पश्चिमी क्षेत्र अध्यक्ष चंद्रशेखर भगत एवं अन्य सदस्य थे। ओयना की अगुवाई एक्स आर्मी बसंत उरांव ने की।
सेवानिवृत्ति जीत सहाय भगत को जगह-जगह पर सम्मानित किया गया। घोड़ा नाच, नृत्य, गाजे बाजे और पारंपरिक रीतिरिवाज के साथ उन्हें जीप में शहर के विभिन्न मार्गों में घुमाते हुए सम्मान दिया गया। श्री भगत ने बीएस कॉलेज रोड स्थित स्व. कार्तिक उरांव की प्रतिमा पर, पावरगंज चौक स्थित सुभाष चंद्र बोस, कचहरी चौक वीर बुद्धू भगत आदि की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया।
जीतसहाय भगत ने अपने कार्यकाल में घटी घटनाओं को शेयर करते हुए बताया कि 2001 में चार राष्ट्रीय राइफल में सक्रिय भूमिका निभाते हुए उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ का सामना करना पड़ा था। साल, 2016 में ग्लेशियर के टर्नओवर में -40 डिग्री तापमान में भी ड्यूटी किया। कब दिन और कब रात होता था, पता नहीं चलता था। घर से एक-एक महीना बात भी नहीं हो पाती थी।
सेवानिवृत होने के पूर्व उनकी ड्यूटी ग्वालियर में था, जहां से 30 साल सेना में सेवा देने के बाद वे सेवानिवृत्ति होकर झारखंड के लोहरदगा आनंदपुर अपने पैतृक गांव लौटे हैं।
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