अतिथि शिक्षकों ने रांची विवि पर न्‍यायालय के आदेश की अवहेलना का लगाया आरोप

झारखंड
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रांची। रांची विश्वविद्यालय में पिछले 7 वर्षों से करीब 124 अतिथि शिक्षक कार्य कर रहे हैं। उनका आरोप है कि उन्‍हें उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के संकल्प का हवाला देते हुए रजिस्ट्रार विनोद नारायण के मौखिक आदेश से काम करने से रोका जा रहा है। अतिथि शिक्षकों का कहना है कि उनका मामला वर्तमान में उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। उच्च न्यायालय में सुनवाई पूरी होने तक उन्‍हें सेवा से नहीं हटाया जा सकता है। यह उच्च न्यायालय का निर्देश है।

अतिथि शिक्षकों का आरोप है कि रांची विश्वविद्यालय द्वारा न्‍यायालय की अवहेलना करते हुए उन्‍हें काम करने से रोका जा रहा है, जो उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। संघ के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद ने कहा कि उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग और रांची विश्वविद्यालय अतिथि शिक्षकों के जीवन से खेल रहे हैं। उन्हें किन्ही के आदेश से डर नहीं लगता।

संघ के संयोजक डॉक्टर धीरज सिंह सूर्यवंशी ने कहा कि यह शिक्षक विरोधी संकल्प है। इस पर उच्च न्यायालय द्वारा त्वरित स्वतः संज्ञान लेकर संबंधित पदाधिकारी पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि किसी के जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सके।

प्रभावित अतिथि शिक्षक सोमवार को रांची विश्वविद्यालय मुख्यालय पहुंचे। सामूहिक रूप से कुलसचिव को उच्च न्यायालय के आदेश का प्रतिलिपि विभाग में सौंपा। कहा कि यह पूरी तरह से उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना है। हमारी नियुक्ति रांची विश्वविद्यालय द्वारा नियम संगत की गई है। अब हम लोगों को काम करने से रोका जा रहा है, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।

ज्ञातव्य है कि अतिथि शिक्षकों को पिछले 17 महीने से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। रांची विश्वविद्यालय परिसर में डॉ धीरज सिंह सूर्यवंशी, डॉ जमील अख्तर, डॉ आशीष कुमार, शिवकुमार, सौरभ कुमार, कृष्णकांत, डॉ ज्योति डुंगडुंग, डॉ रंजू, राजू हजम, आसिफ अंसारी, सरफराज अहमद, डॉ ताल्हा नकवी, डॉ खातून, डॉ पूनम, डॉ चक्षु पाठक, विकास कुमार, डॉ जिज्ञासा ओझा, डॉ नाजिश हसन, अंकित शर्मा, डॉ आरती, दीपशिखा, सुषमा साहू, डॉ निशा आदि शिक्षक उपस्थित रहे।

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