रांची। गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा कृष्णा नगर कॉलोनी ने शहीदी सप्ताह के तहत वीर बाल दिवस के मौके पर शाम 8 बजे से विशेष दीवान सजाया। विशेष दीवान की शुरुआत हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह और साथियों के ‘गुरु तेग बहादुर सिमरियै घर नव निधि आवे धाई सब थाई होए सहाई..’ शबद गायन से हुई।
विशेष रूप से समागम में पधारे सिख पंथ के महान कीर्तनी जत्था भाई गुरबक्श सिंह शांत ने रात 9 बजे से 10:30 बजे ‘गुर परसादी जीवतु मरै हुक्मै बुझे सोई, नानक ऐसी मरनी जो मरै ता सद जीवणु होई..’ और ‘हऊ तुमरी करउ नित आस प्रभ मोहि कब गल लावहगे…’ एवं ‘धन धन धन जब आया जिस प्रसाद सब जगत तराया जन आवण काए हो सुहावो…’ जैसे कई शबद गायन कर साथ संगत को भाव विभोर कर दिया।
शबद गायन के साथ-साथ शहादत के बारे उन्होंने साध संगत को ‘निक्कियां जिंदां, वड्डा साका’ का उल्लेख करते हुए विस्तार से बताया कि 1704 में चमकौर की घड़ी में गुरु गोविंद सिंह के दो बड़े सुपुत्र 17 वर्ष की आयु के साहिबजादा अजीत सिंह और 15 वर्ष की आयु के साहिबजादा जुझार सिंह शहीद हुए। वजीर खां के सैनिक माता गुजरी और 7 वर्ष की आयु के साहिबजादा जोरावर सिंह और 5 वर्ष की आयु के साहिबजादा फतेह सिंह को गिरफ्तार कर उन्हें लाकर ठंडे बुर्ज में रखा गया। उस ठिठुरती ठंड से बचने के लिए कपड़े का एक टुकड़ा तक नहीं दिया।
रात भर ठंड में ठिठुरने के बाद सुबह होते ही दोनों साहिबजादों को वजीर खां के सामने पेश किया गया, जहां भरी सभा में उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने को कहा गया। कहते हैं सभा में पहुंचते ही बिना किसी हिचकिचाहट के दोनों साहिबजादों ने ज़ोर से जयकारा लगाया ‘जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’, यह देख सब दंग रह गए। वजीर खां की मौजूदगी में कोई ऐसा करने की हिम्मत भी नहीं कर सकता, लेकिन गुरु जी की नन्हीं जिंदगियां ऐसा करते समय एक पल के लिए भी ना डरीं।
सभा में मौजूद मुलाजिम ने साहिबजादों को वजीर खां के सामने सिर झुकाकर सलामी देने को कहा, लेकिन इस पर दोनों ने सिर ऊंचा करके जवाब दिया कि ‘हम अकाल पुरख और अपने गुरु पिता के अलावा किसी के भी सामने सिर नहीं झुकाते। ऐसा करके हम अपने दादा की कुर्बानी को बर्बाद नहीं होने देंगे। यदि हमने किसी के सामने सिर झुकाया तो हम अपने दादा को क्या जवाब देंगे, जिन्होंने धर्म के नाम पर सिर कलम करवाना सही समझा, लेकिन झुकना नहीं’। वजीर खां ने दोनों साहिबजादों को काफी डराया, धमकाया और प्यार से भी इस्लाम कबूल करने के लिए राज़ी करना चाहा, लेकिन दोनों अपने निर्णय पर अटल रहे। आखिर में दोनों साहिबजादों को पंजाब के सरहद प्रांत में जिंदा दीवारों में चुनवाने का एलान किया गया।
कहते हैं दोनों साहिबजादों को जब दीवार में चुनना आरंभ किया गया, तब उन्होंने ‘जपुजी साहिब’ का पाठ करना शुरू कर दिया। दीवार पूरी होने के बाद अंदर से जयकारा लगाने की आवाज भी आई।
श्री अनंद साहिब जी के पाठ, अरदास, हुकुम नामा एवं कढ़ाह प्रसाद वितरण के साथ दीवान की समाप्ति रात 11 बजे हुई। मंच संचालन मनीष मिढ़ा ने किया। मौके पर सत्संग सभा द्वारा श्रद्धालुओं के लिए गुरु का अटूट लंगर भी चलाया गया।
सत्संग सभा के मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने बताया कि शहीदी सप्ताह आयोजन के तहत आज यह पहला दीवान था। 27 दिसंबर और 28 दिसंबर को भी शाम 8 बजे से 10.30 बजे तक विशेष दीवान सजाया जाएगा।
दीवान में सभा के प्रधान द्वारका दास मुंजाल, सचिव अर्जुन देव मिढ़ा, सुंदर दास मिढ़ा, हरविंदर सिंह बेदी, अशोक गेरा, चरणजीत मुंजाल, जीवन मिढ़ा, मोहन काठपाल, हरगोविंद सिंह, सुरेश मिढ़ा, वेद प्रकाश मिढ़ा, अमरजीत गिरधर, लक्ष्मण दास मिढ़ा, लक्ष्मण सरदाना, हरीश मिढ़ा, लेखराज अरोड़ा, राजकुमार सुखीजा, इंदर मिढा, रमेश पपनेजा, प्रेम मिढ़ा, कवलजीत मिढ़ा, महेश सुखीजा, सुभाष मिढ़ा, हरजीत बेदी, जीतू काठपाल, पाली मुंजाल, राजेंद्र मक्कड़, अनूप गिरधर, बिनोद सुखीजा, लक्ष्मण दास सरदाना, अमरजीत मुंजाल, पवनजीत सिंह, महेन्द अरोड़ा, मोहन लाल अरोड़ा, जीतू अरोड़ा, नीरज गखड़, अश्विनी सुखीजा, सागर थरेजा, राकेश गिरधर, नीरज सरदाना, ईशान काठपाल, कमल अरोड़ा मौजूद थे।
इसके अलावा रमेश तेहरी, हरविंदर सिंह, उमेश मुंजाल, कमल मुंजाल, गुलशन मिढ़ा, रमेश गिरधर, पंकज मिढ़ा, सूरज झंडई, गौरव मिढ़ा, रौनक ग्रोवर, अमन डावरा, पियूष मिढ़ा, आशु मिढ़ा, नवीन मिढ़ा, रिक्की मिढ़ा, बबली दुआ, गीता कटारिया, शीतल मुंजाल, रेशमा गिरधर, बंसी मल्होत्रा, मंजीत कौर, खुशबू मिढ़ा, दुर्गी देवी मिढ़ा, बिमला मिढ़ा, तीर्थी काठपालिया, नीता मिढ़ा, इंदु पपनेजा, रेशमा गिरधर, ममता सरदाना, मीना गिरधर, श्वेता मुंजाल, उषा झंडई, नीतू किंगर, ममता थरेजा, कंचन सुखीजा, सुषमा गिरधर, उषा झंडई समेत अन्य श्रद्धालु शामिल हुए।
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