लैब के साथ अब लैंड पर भी सीएमपीडीआई कर रही शोध

झारखंड मुख्य समाचार
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  • नासेर के माध्‍यम से ऊर्जा और कोयला क्षेत्र चुनौतियों के समाधान पर जोर
  • स्थिरता व पर्यावरणीय प्रबंधन सुनिश्चित करते हुए अनुसंधान किया जाएगा

रांची। कोल इंडिया की सहायक कंपनी सीएमपीडीआई लैब के साथ अब लैंड (जमीनी स्‍तर) पर भी शोध कर रही है। यह काम नेशनल सेंटर फॉर कोल एंड इनर्जी रिसर्च (नासेर) के माध्‍यम से होगा। सेंटर के चरण-1 की स्‍थापना रांची स्थित सीएमपीडीआई मुख्‍यालय में की गई है। इसका उद्देश्य कोयला और ऊर्जा क्षेत्रों में गंभीर चुनौतियों का समाधान करने के साथ भारत को टिकाऊ ऊर्जा में अग्रणी के रूप में स्थापित करना है।

सीएमपीडीआई के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अध्‍यक्ष अमरकांत मिश्रा ने बताया कि पहले शोध लैब (प्रयोगशाला) में होता था। नासेर की स्‍थापना होने के बाद इसकी क्षमता और दायरा बढ़ा है। अब व्‍यापक स्‍तर पर अनुसंधान का काम हो रहा है। यह सीधे जमीनी स्‍तर पर किया जा रहा है। काम की प्रकृति के हिसाब से यह खदान, परियोजना क्षत्रों में हो रहा है।

दुनिया तेजी से विकसित हो रही है। प्रतिस्पर्द्धा तेज है। प्रौद्योगिकियां बिजली की गति से आगे बढ़ रही है। इसके साथ पर्यावरणीय जिम्मेदारियां भी बढ़ रही हैं। वर्तमान में कोयला ही भारत की ऊर्जा आपूर्ति की आधारशिला है। इसको इन बदलावों के अनुरून ढलना होगा। अब पारंपरिक तरीकों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। हमें नवप्रवर्तन करना चाहिए। विविधता लानी चाहिए और प्रगति पथ पर आगे रहना चाहिए।

विभाग के महाप्रबंधक डॉ शिशिर दत्‍ता ने कहा कि कोयला और ऊर्जा क्षेत्र की अनुसंधान एवं विकास जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयला मंत्रालय के निर्देशन में नेशनल सेंटर फॉर कोल एंड इनर्जी रिसर्च (नासेर) की परिकल्पना की गयी थी।

नासेर की स्थापना दो चरणों में की जा रही है। चरण-1 को सीएमपीडीआई के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत विकसित किया गया है। यह सीएमपीडीआई में मौजूदा बुनियादी ढांचे और विशेषज्ञता को मजबूत करता है। भविष्य में चरण-2 कोल इंडिया के नेतृत्व के तहत दीर्घकालिक नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक स्थायी विश्व स्तरीय सुविधा की रचना की जाएगी। उपयुक्‍त स्‍थल के चुनाव के लिए कमेटी का गठन किया गया है। 

नासेर का उद्देश्य ऐसे अनुसंधान को अंजाम देना है, जो स्थिरता और पर्यावरणीय प्रबंधन सुनिश्चित करते हुए कोयला और ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है।

इसका उद्देश्य वैश्विक मानकों का एक राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र बनाना है, जहां पनपते नवप्रवर्तन और उद्योग की चुनौतियों का समाधान परिवर्तनात्मक समाधानों से किया जा सके। स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों और एआई-संचालित खनन से लेकर नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरणीय संरक्षणक तक नासेर ऊर्जा और स्थिरता के भविष्य के लिए लगभग सभी महत्व पूर्ण क्षेत्रों से निपटेगा।

हम इस पहल की पूरी क्षमता को उजागर करने के लिए विशेषज्ञों की एक बहु-विषयक दल बनाने, आईआईटी और एनआईटी जैसे अग्रणी संस्थानों के साथ साझेदारी करने और स्टार्ट-अप और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उसी के अनुरूप, आईआईटी (आईएसएम), धनबाद-टेक्समिन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर पहले हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। आईआईटी, हैदराबाद और आईआईटी, मद्रास के साथ समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

नासेर का जोर नई तकनीकों को विकसित करना और टीआरएल-4 के सिद्ध अनुसंधान को प्रयोगशाला से धरातल तक लाना है, जिससे वास्तविक दुनिया प्रभावित हो, जो उद्योग के विकास और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों को संचालित करता है। तद्नुसार, फंडिंग का बड़ा हिस्सा ऐसी सभी परियोजनाओं पर खर्च किया जाएगा, जो प्रभावी अनुप्रयोगों में तब्दील हो सकती हैं।

नासेर की स्थापना को कोल इंडिया के आरएंडटी फंड द्वारा समर्थित किया जाएगा, जिसमें विशेषज्ञ समितियां सुचारू निष्पादन और निरीक्षण सुनिश्चित करेंगी। उसी के अनुरूप, देश भर के विशेषज्ञों की एक सलाहकार विशेषज्ञ समिति बनाई गयी है। विषय विशेषज्ञों का पैनल बनाया गया है। नासेर राष्ट्रीय और वैश्विक अनुसंधान में तालमेल को बढ़ावा देगा। यह सुनिश्चित करेगा कि भारत आने वाले दशकों तक ऊर्जा नवाचार में अग्रणी रहे।

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