पटना। बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने साल 2023-28 की अवधि के लिए बिहार के चौथे कृषि रोडमैप का लोकार्पण किया। श्रीमती मुर्मू ने आज यहां बिहार के चौथे कृषि रोड मैप के लॉन्च के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2008 में पहला कृषि रोड मैप लॉन्च होने के बाद से राज्य ने कृषि क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया है। यह जानकर खुशी हुई कि इस अवधि के दौरान प्रदेश में धान, गेहूं और मक्के का उत्पादन दोगुना हो गया है। इसी अवधि में मछलियों, मशरूम और मखाना के उत्पादन में भी वृद्धि हुई है।
राष्ट्रपति ने कहा, “बिहार के कृषि क्षेत्र की क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां प्रथम कृषि अनुसंधान केंद्र साल 1905 में बिहार के पूसा में खोला गया था।” उन्होंने कहा कि जैविक खेती से अच्छा मुनाफा हो रहा है और बिहार को इसका लाभ उठाना चाहिए। बिहार सरकार ने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिया है और गंगा नदी से लगे जिलों में इसे बढ़ावा दे रही है।
श्रीमती मुर्मू ने राज्य के किसानों को उनकी उपज को बाजार तक पहुंचाने के लिए सस्ती परिवहन सुविधाएं उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी उपज का सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए उन्हें विशाल बाजार भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि सीमांत किसानों के पास अपने कृषि कार्य के लिए उच्च प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए संसाधन नहीं है। वे गाय के गोबर जैसे पारंपरिक संसाधनों का उपयोग करके खेती कर सकते हैं।
उन्होंने बिहार की समृद्ध संस्कृति की भी सराहना की और कहा कि वह इससे अच्छी तरह वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता पूर्व युग में ओडिशा भी बिहार का हिस्सा था और ओडिशा की बेटी होने के कारण वह खुद को बिहारी भी कह सकती हैं।