रांची। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ‘एक देश-एक चुनाव’ की संभावनाओं पर विचार के लिए समिति का गठन किए जाने से अत्यंत आशान्वित है। संगठन का मानना है कि ‘एक देश-एक चुनाव’ की पहल देश में चुनाव सुधारों के लिए जरूरी है। इससे लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण पक्ष में परिस्थितिजन्य दोषों को दूर किया जा सके।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने समय-समय पर देश की चुनाव व्यवस्था के विभिन्न पक्षों पर उचित विमर्श के बाद देश के शैक्षणिक परिसरों में युवाओं के मध्य चुनाव सुधारों के लिए संवाद और अन्य रचनात्मक प्रयोग किए। इस दौरान मताधिकार के प्रयोग, धनबल-बाहुबल को नकारने, सभी वर्गों की चुनावी प्रतिनिधित्व में उचित सहभागिता, चुनावों में भ्रष्टाचार को खत्म करने जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की नागपुर में 2013 में हुई राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद में चुनाव सुधार के लिए नीतिगत निर्णय लेने का आह्वान किया गया था।
परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि देश को स्वाधीनता मिलने के बाद शुरुआत में ‘एक देश-एक चुनाव’ की स्थिति थी। कई विधानसभा व लोकसभा चुनाव साथ हुए। हालांकि विभिन्न कारणों से यह क्रम टूट गया। धीरे-धीरे यह स्थिति बनी कि देश पूरे समय चुनावी मोड में रहने लगा है। चुनावी मोड में रहने की स्थिति के कारण कई तरह के निर्णय भी प्रभावित होते हैं, जो कि देश के लिए अहितकारी है।
शुक्ल ने आगे कहा कि ‘एक देश-एक चुनाव’ वर्तमान समय में चुनाव सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण आवश्यकता है। इस विषय में सभी हितधारकों से उचित राय लेकर चुनाव सुधारों की दिशा में आगे बढ़ना हितकारी है। देश की चुनाव व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन आने चाहिए। चुनाव सुधारों से भ्रष्टाचार को रोकने में सहायता मिलेगी। विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
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