सांसद डॉ महुआ माजी से मि‍ले फिशरीज कॉलेज के विद्यार्थी, रखीं ये मांगें

झारखंड
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गुमला। झारखंड के गुमला स्थित मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय (फिशरीज कॉलेज) के विद्यार्थियों ने राज्यसभा सांसद डॉ महुआ माजी मुलाकात की। उन्होंने राज्य में किसी भी मत्स्य पद पर नियुक्ति के लिए निकाले जाने वाले विज्ञापन से जूलॉजी की पात्रता को खत्‍म करने की मांग की। यह कॉलेज रांची स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अधीन संचालित है।

छात्रों ने कहा कि यह कॉलेज राज्य का एकमात्र मात्स्यिकी महाविद्यालय है। वर्ष 2017 में इसकी शुरुआत के बाद से तीन बैच पास हो चुके हैं। तीन वर्तमान में अपनी डिग्रियां पूरी कर रहे हैं। कई छात्रों ने राष्ट्रीय स्तर की जेआरएफ परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त की है। आईसीएआर-सीआईएफई मुंबई जैसे प्रीमियम संस्थान में अपनी उच्च डिग्री के लिए अध्ययन कर रहे हैं।

छात्रों ने बताया कि बीएफएससी डिग्री चार साल का पूर्ण तकनीकी पाठ्यक्रम है। यह आईसीएआर, नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त है। दूसरी ओर जूलॉजी तीन साल का नॉन टेक्निकल कोर्स है। बीएफएससी और प्राणीशास्त्र स्नातकों की योग्यता और दक्षता के बीच कोई तुलना नहीं है।

मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय में प्रवेश जेसीईसीई परीक्षा के माध्यम से मिलता जाता है, जबकि प्राणीशास्त्र में ऐसा नहीं है। बीएफएससी स्नातकों को अपने पाठ्यक्रम में शामिल होने के दिन से ही जमीनी स्तर का अनुभव प्राप्त होता है। पाठ्यक्रम के अंत तक वे किसी भी मत्स्य पालन कार्य को निष्पादित करने में उच्च कौशल प्राप्त कर लेते हैं। बीएफएससी के पाठ्यक्रम में मछली पालन से लेकर वैश्विक बाजार में इसकी मार्केटिंग तक शामिल है।

बीएफएससी कोर्स में कुल क्रेडिट लोड 108 है। उनमें से 84 थ्योरी और 96 प्रैक्टिकल हैं। अन्य बातों के अलावा, मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय के छात्र प्रस्तुतियाँ देने में माहिर हैं। यह एक रिकॉर्ड है कि उन्होंने जिस भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थान या कार्यक्रम में भाग लिया है, वहां कॉलेज और राज्य के लिए कुछ न कुछ गौरव हासिल किया है।

यह मात्स्यिकी महाविद्यालय के छात्रों के साथ अन्याय है कि इतनी कड़ी मेहनत के बाद भी जूलॉजी और बीएफएससी स्नातकों को एक ही स्तर पर रखा जाता है। अन्य पड़ोसी राज्य जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा आदि ने मत्स्य पालन पदों के लिए बीएफएससी को एकमात्र पात्रता मानदंड के रूप में स्वीकार किया है।

छात्रों ने राज्यसभा सांसद को यह भी बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 (धारा 7) के तहत मत्स्य पालन राज्य का विषय है। इस संबंध में संशोधन का अधिकार पूरी तरह से राज्य सरकार के हाथ में है। इसलिए छात्र अपने भविष्य के लिए सरकार का दरवाजा खटखटा रहे हैं।

विद्यार्थियों में उत्तम नारायण, अनुप कुजूर, नितेश कुमार, सुगंध मिंज, निशा रजक, पूजा मिश्रा, मोनिका डुंगडुंग और रानी मिंज शामिल थे।

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