Jharkhand : ऐसे तय होगी सरकारी शिक्षकों की वरीयता, सचिव ने जारी किया आदेश

झारखंड
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रांची (Jharkhand)। झारखंड के राजकीयकृत प्रारम्भिक विद्यालयों के शिक्षकों की वरीयता सूची के निर्माण में आपसी वरीयता के निर्धारण का मामला सुलझ गया है। शिक्षा सचिव के रवि कुमार ने 10 जुलाई, 2023 को आदेश जारी कर दिया। इसकी जानकारी सभी उपायुक्‍त और जिला शिक्षा पदाधिकारी को दी है। इसके आधार पर नियमानुकूल प्रोन्नति की कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

जानकारी हो कि शिक्षकों की प्रोन्नति संबंधी मामलों के निष्पादन के लिए शिक्षकों की वरीयता सूची निर्माण को लेकर त्रिसदस्यीय समिति गठित की गई थी। समिति ने नियुक्ति तिथि, उनके द्वारा विद्यालय में योगदान की तिथि एवं लोक सेवा आयोग की अनुशंसा पर नियुक्त शिक्षकों के मेघा क्रमांक को आधार बनाये जाने पर स्थापित प्रावधानों के अनुपालन के संबंध में स्पष्टता के लिए प्रतिवेदन समर्पित किया गया है।

उक्त त्रिसदस्यीय समिति द्वारा विस्तारपूर्वक संबंधित प्रावधान, उच्च एवं उच्चतम न्यायालय के आपसी वरीयता निर्धारण विषयक विभिन्न न्यायादेशों का उल्लेख करते हुए अनुशंसा की गयी है।

ये है अनुशंसा

  • यद्यपि वरीयता का आधार उनकी मेधा सूची के अनुरूप नियुक्ति के समय निर्धारित मेघाक्रम ही होगा।
  • परन्तु जिन मामलों में वरीयता सूची का अनुमोदन वर्ष 2020 के 4 वर्ष पूर्व हो चुका है और उसके आधार पर प्रोन्नति भी दी जा चुकी है, उन मामलों को पुनः नए सिरे से वरीयता सूची के निर्माण में Re-open किया जाना अपेक्षित नहीं है। इसे अलग-अलग जिले के लिए सुविधाजनक रूप से वर्ष 2020 अथवा वर्ष 2021 अथवा वर्ष 2022 भी रखा जा सकता है।
  • जिन मामलों में मेधा सूची के अनुरूप नियुक्ति के समय निर्धारित मेधाक्रम एवं मेधांक उपलब्ध हैं और वरीयता सूची का निर्माण नहीं किया गया है अथवा निर्मित एवं अंतिम रूप से अनुमोदित वरीयता सूची की अवधि 4 वर्ष पूर्ण नहीं हुई है, मात्र उन्हीं मामलों में नियुक्ति के समय निर्धारित मेधाक्रम एवं मेधांक के आधार पर आपसी वरीयता के निर्धारण और वरीयता सूची तैयार करने अथवा पुनः नए सिरे से तैयार किए जाने की कार्रवाई अपेक्षित है।

आदेश में कहा गया है कि स्पष्टतः पूर्व के मामले, जिनमें नियुक्ति के समय निर्धारित मेधाक्रम एवं मेधांक के आधार पर समेकित अनुशंसा सूची निर्गत नहीं है अथवा वरीयता सूची का निर्माण एवं अनुमोदन की अवधि 4 वर्ष से अधिक हो चुकी है और नियुक्ति / प्रथम योगदान की तिथि के आधार पर वरीयता सूची तैयार एवं अनुमोदित की गयी है, उन मामलों में नए सिरे से वरीयता सूची तैयार किया जाना अपेक्षित नहीं है। उन विशिष्ट मामलों को छोड़कर, जिनमें उच्च न्यायालय का इस संबंध में स्पष्ट आदेश पारित है।

वरीयता सूची के अंतिम रूप से प्रकाशन की तिथि के बाद 4 वर्षों से अधिक विलंब के बाद अपनी वरीयता के संबंध में दावे / आपत्ति अथवा वरीयता सूची को उच्च न्यायालय में चुनौती दिए जाने की स्थिति में विभाग की ओर से उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न न्यायादेश के अनुसार अंतिम वरीयता निर्धारण एवं वरीयता सूची के प्रकाशन के 4 वर्षों से अधिक पूर्ण होने के उपरांत उसे सामान्यतः चुनौती नहीं दी जा सकती है, का उल्लेख करते हुए विभाग की ओर से ससमय पक्ष रखा जाना अपेक्षित है।

विधि विभाग के माध्यम से महाधिवक्ता के विधि परामर्श के आलोक में नयी / संशोधित नियमावली के गठन की तिथि तक प्रारम्भिक शिक्षकों की आपसी वरीयता के निर्धारण एवं वरीयता सूची का निर्माण अनुशंसा के आलोक में यथाशीघ्र पूर्ण करते हुए नियमानुकूल प्रोन्नति की कार्रवाई सुनिश्चित की जाय।